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जेल की सुरक्षा होगी ‘स्मार्ट’: छत्तीसगढ़ के सेंट्रल जेलों में अब AI कैमरों से रखी जाएगी कैदियों की निगरानी, संदिग्ध गतिविधियों पर मिलेगा तुरंत अलर्ट

रायपुर। छत्तीसगढ़ की जेलों में कैदियों द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल और प्रतिबंधित सामग्री मिलने की घटनाओं के बाद, जेल प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का सहारा लेने की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य के सेंट्रल जेलों में अब AI-आधारित सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जो कैदियों की हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर 24 घंटे पैनी नजर रखेंगे।

AI तकनीक की जरूरत क्यों पड़ी?

हाल ही में, रायपुर सेंट्रल जेल में बंद NDPS एक्ट के आरोपी कैदी का मोबाइल फोन पर वीडियो कॉल करने और बैरक के भीतर सेल्फी लेने का वीडियो वायरल हुआ था। इस घटना ने जेलों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के जेल सुधार संबंधी निर्देशों और राज्य में लगातार सामने आ रही सुरक्षा खामियों को देखते हुए, जेल प्रबंधन ने मैन्युअल निगरानी की जगह अब इंटेलिजेंट सर्विलांस सिस्टम अपनाने का फैसला किया है।

AI कैमरे कैसे काम करेंगे?

ये कैमरे सामान्य सीसीटीवी कैमरों से कहीं अधिक एडवांस होंगे, जो सिर्फ रिकॉर्डिंग ही नहीं करेंगे, बल्कि वास्तविक समय (Real-Time) में डेटा का विश्लेषण भी करेंगे।

संदिग्ध व्यवहार की पहचान: AI सिस्टम कैदियों के असामान्य शारीरिक हाव-भाव (Body Language), मानसिक तनाव, या आत्मघाती प्रवृत्ति के संकेतों को पकड़ सकेगा और तुरंत जेल प्रशासन को अलर्ट भेजेगा।

अवैध गतिविधियों पर तुरंत अलर्ट: यदि कोई कैदी भागने की कोशिश करता है, किसी तरह की हिंसा (Clashes) या झगड़े में शामिल होता है, या असामान्य रूप से भीड़ जमा करता है, तो AI कैमरा फौरन अलर्ट मोड में आ जाएगा।

प्रतिबंधित सामग्री की पहचान: AI की उन्नत इमेज प्रोसेसिंग क्षमताएं कोशिकाओं (Cells) के भीतर मोबाइल फोन, हथियार या नशीले पदार्थ जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं की पहचान करके अधिकारियों को सचेत करेंगी।

बायोमेट्रिक एकीकरण: भविष्य में यह प्रणाली चेहरे की पहचान (Facial Recognition) और बायोमेट्रिक डेटा को एकीकृत करके प्रत्येक कैदी की 24/7 ट्रैकिंग सुनिश्चित करेगी, जिससे अनाधिकृत आवाजाही रोकी जा सकेगी।

जेल प्रशासन का अगला कदम

जेल विभाग के अधिकारियों ने AI कैमरों की स्थापना के लिए तकनीकी सुझाव मांगे हैं और जल्द ही इस प्रोजेक्ट को छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख सेंट्रल जेलों में लागू करने की तैयारी है। अधिकारियों का मानना है कि इस तकनीक की मदद से जेलों में होने वाले आपराधिक गठजोड़ों को तोड़ा जा सकेगा और जेलों को अनुशासन, सुरक्षा और सुधार के अपने मूल उद्देश्य की ओर वापस लाया जा सकेगा।

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