छत्तीसगढ़ में निकाय और पंचायत चुनावों की सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं। इस बार चुनाव दिलचस्प होने की उम्मीद है क्योंकि राजनीतिक दलों ने अपनी नई रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है।
बीजेपी की नई रणनीति: युवाओं को मौका
सूत्रों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस बार निकाय और पंचायत चुनावों में युवा और नए चेहरों को मौका देने की योजना बनाई है। हाल ही में पार्टी की मैराथन बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस कदम का उद्देश्य युवाओं को राजनीति में सक्रिय करना और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना है।
वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी का खतरा
हालांकि, इस नई रणनीति के कारण पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में नाराजगी की संभावना है। जिन नेताओं को टिकट का दावेदार माना जा रहा था, वे असंतोष जता सकते हैं। इसे देखते हुए पार्टी ने निगम-मंडल में राजनीतिक नियुक्तियों को फिलहाल टाल दिया है, ताकि नाराज नेताओं को साधा जा सके।
कांग्रेस की तैयारी: बूथ से ब्लॉक तक फोकस
दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी अपनी रणनीति तेज कर दी है। प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने जिला और शहर अध्यक्षों की बैठक में निगमों और नगर पंचायतों में पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के निर्देश दिए हैं। कांग्रेस बूथ से लेकर ब्लॉक तक अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में जुटी है।
आरक्षण प्रक्रिया और चुनाव की तारीखें
राज्य सरकार ने चुनाव से पहले आरक्षण प्रक्रिया शुरू कर दी है। नगर निगम, नगर पालिका, और नगर पंचायतों के वार्डों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और ओबीसी के लिए आरक्षण तय करने की अधिसूचना जारी हो चुकी है। आरक्षण का निर्धारण लॉटरी के जरिए किया जाएगा।
आचार संहिता और संभावित चुनाव तारीखें
चुनाव आयोग 21 दिसंबर के बाद कभी भी आचार संहिता लागू कर सकता है। अनुमान है कि चुनाव 4-5 चरणों में होंगे और बजट सत्र से पहले समाप्त कर लिए जाएंगे।
कड़ी टक्कर की उम्मीद
बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए यह चुनाव नाक की लड़ाई बन चुके हैं। जहां एक तरफ बीजेपी युवा चेहरों के जरिए नई लहर लाने की कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत करने में जुटी है। ऐसे में देखना होगा कि जनता किसे अपना समर्थन देती है।