Chaitra Navratri 2025: तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र और कथा

Chaitra Navratri 2025 : चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन 1 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। देवी के मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान होने के कारण उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा को साहस, शक्ति और शांति की देवी माना जाता है।

चैत्र नवरात्रि 2025: तीसरे दिन के शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: 04:39 से 05:25
  • प्रातः संध्या: 05:02 से 06:11
  • अभिजित मुहूर्त: 12:00 से 12:50
  • विजय मुहूर्त: 14:30 से 15:20
  • गोधूलि मुहूर्त: 18:38 से 19:01
  • सायाह्न संध्या: 18:39 से 19:48
  • अमृत काल: 06:50 से 08:16
  • निशिता मुहूर्त: 00:01 से 00:48 (2 अप्रैल)
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: 11:06 (1 अप्रैल) से 06:10 (2 अप्रैल)
  • रवि योग: 11:06 (1 अप्रैल) से 06:10 (2 अप्रैल)

मां चंद्रघंटा का स्वरूप और विशेषताएं

माता चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है। उनका शरीर स्वर्ण के समान चमकीला है और उनके दस भुजाएं हैं। वे सिंह पर सवार रहती हैं और उनके हाथों में अस्त्र-शस्त्र सुशोभित होते हैं। मां की आराधना करने से भक्तों के सभी कष्ट और भय दूर हो जाते हैं।

मां चंद्रघंटा की पूजा विधि और प्रिय वस्तुएं

  • मंत्र:
    • ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
    • ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः॥
  • पसंदीदा रंग: लाल
  • प्रिय फूल: गुलाब और कमल
  • प्रिय भोग: दूध से बनी खीर और मिठाई

मां चंद्रघंटा की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब महिषासुर ने स्वर्ग पर अपना आतंक फैला दिया और देवताओं को परास्त कर दिया, तब सभी देवता त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के पास सहायता के लिए पहुंचे। देवताओं की करुण पुकार सुनकर तीनों देवताओं के क्रोध से एक दिव्य शक्ति उत्पन्न हुई, जिससे माता चंद्रघंटा प्रकट हुईं।

मां को विभिन्न देवताओं ने दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए—भगवान शिव ने त्रिशूल, विष्णु जी ने चक्र, सूर्य ने तेज, इंद्र ने घंटा और मां ने सिंह पर आरूढ़ होकर महिषासुर का संहार किया। इस प्रकार उन्होंने देवताओं को उनके अधिकार वापस दिलाए और स्वर्ग को राक्षसों के आतंक से मुक्त किया।

नवरात्रि व्रतधारियों के लिए विशेष महत्व

मां चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन में शांति, साहस और निडरता आती है। उनकी उपासना से भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

(डिस्क्लेमर: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोक कथाओं पर आधारित है। अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।)

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