Site icon India & World Today | Latest | Breaking News –

Chaitra Navratri Day 3 : तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा,

Maa Chandraghanta : चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित है। माता चंद्रघंटा, दुर्गा माता का दसवां स्वरूप है। माता के मस्तक पर अर्ध चंद्रमा विराजमान है, जिस कारण ही इन्हें चंद्रघंटा के नाम से पुकारा जाता है।

पूजा मुहूर्त:

चंद्रघंटा मां का पसंदीदा रंग: लाल चंद्रघंटा मां का पसंदीदा फूल: गुलाब और कमल चंद्रघंटा मां का पसंदीदा भोग: दूध की खीर, दूध से बनी मिठाई

पूजा-विधि:

  1. सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें।
  2. दुर्गा माता का गंगाजल से अभिषेक करें।
  3. मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी, सफेद और लाल पुष्प अर्पित करें।
  4. सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं।
  5. प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
  6. घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं।
  7. दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  8. फिर पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।
  9. अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

चंद्रघंटा मां का मंत्र:

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥ ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

चंद्रघंटा माता की कथा:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वर्ग पर राक्षसों का उपद्रव बढ़ने पर दुर्गा मैया ने चंद्रघंटा माता का रूप धारण किया था। महिषासुर नामक दैत्य ने सभी देवताओं को परेशान कर रखा था। महिषासुर स्वर्ग लोक पर अपना अधिकार जमाना चाहता था और सभी देवताओं से युद्ध कर रहा था। महिषासुर के आतंक से परेशान सभी देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास जा पहुंचे। सभी देवताओं ने खुद पर आई विपदा का वर्णन त्रिदेवों से किया और मदद मांगी। देवताओं की विनती और असुरों का आतंक देख त्रिदेव को बहुत गुस्सा आया। त्रिदेवों के क्रोध से एक ऊर्जा निकली। इसी ऊर्जा से माँ चंद्रघंटा देवी अवतरित हुई।

माता के अवतरित होने पर सभी देवताओं ने माता को उपहार दिया। माता चंद्रघंटा को भगवान शिव ने अपना त्रिशूल, श्री हरि विष्णु जी ने अपना चक्र, सूर्य ने अपना तेज, तलवार, सिंह और इंद्र ने अपना घंटा माता को भेंट के रूप में दिया। अस्त्र शास्त्र शिशु शोभित मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का मर्दन कर स्वर्ग लोक और सभी देवताओं को रक्षा प्रदान की।

Exit mobile version