रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार को लेकर राज्य में सियासी पारा चढ़ गया है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इस घोटाले की जांच CBI से कराने की मांग करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखा है।
चरणदास महंत ने पत्र में लिखा है कि रायपुर–विशाखापट्टनम इकनॉमिक कॉरिडोर के तहत अभनपुर में भूमि अधिग्रहण में 43.18 करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति भारत सरकार को हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रकरण में विधि विरुद्ध तरीकों से मुआवजा निर्धारण किया गया, जिससे वास्तविक राशि ₹7.65 करोड़ के बजाय ₹49.39 करोड़ का भुगतान कर दिया गया।
महंत ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के बाद जानबूझकर पुराने तारीखों में खरीद-बिक्री और नामांतरण के फर्जी कागजात बनाए गए, जिससे ज़मीन की कीमत बढ़ाकर मुआवजा राशि में गड़बड़ी की गई। उन्होंने इसे एक आपराधिक षड्यंत्र करार दिया, जिसमें 100 से अधिक लोकसेवकों और भूमि मालिकों की संलिप्तता की बात कही गई है।
विधानसभा में भी उठाया था मुद्दा
12 मार्च 2025 को विधानसभा में चर्चा के दौरान चरणदास महंत ने इस प्रकरण की CBI जांच या विधायकों की समिति से जांच कराने की मांग की थी। लेकिन सरकार ने इस मांग को ठुकराते हुए केवल कमिश्नर से जांच की घोषणा की और बाद में इसे राज्य की EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) को सौंप दिया।
महंत ने इसे राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह भारत सरकार की परियोजना है, और इसमें वरिष्ठ अधिकारियों की भी भूमिका हो सकती है, इसलिए राज्य एजेंसी से जांच निष्पक्ष नहीं मानी जा सकती। उन्होंने चेताया कि अगर यह जांच राज्य एजेंसियों के हवाले रही तो कानूनी रूप से इसे चुनौती दी जा सकती है, जिससे दोषी सजा से बच सकते हैं।
सभी भूमि अधिग्रहण की जांच की मांग
महंत ने मांग की है कि सिर्फ अभनपुर ही नहीं, बल्कि भारतमाला परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ में जहां-जहां भूमि अधिग्रहण हुआ है, वहां भी इसी प्रकार के भ्रष्टाचार की जांच CBI से कराई जाए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक क्षेत्र की रिपोर्ट है, जिसमें भी कई गंभीर पहलुओं को नजरअंदाज किया गया है।
