हाथियों का कब्रगाह बनता छत्तीसगढ़, 23 सालों में 70 हाथियों की मौत

पिछले 23 सालों में छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत का आंकड़ा 70 तक पहुंच गया है, ये राज्य हाथियों के लिए कब्रगाह बनता जा रहा है। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2001 से 2023 तक 70 हाथियों की मौत हुई है, जिनमें से 40% मौतें करंट लगने से हुई हैं। वहीं, उनके कुचलने से 195 इंसान की मौत हो चुकी हैं. यह डरवाना आंकड़ा दर्शाता है कि कैसे छत्तीसगढ़ में इंसान-हाथी संघर्ष लगातार बढ़ रहा है, जो दोनों ही पक्षों के लिए घातक परिणाम लेकर आ रहा है।

इस संघर्ष के पीछे कई कारण हैं:

  • आवास-स्थल का नुकसान: वनों की कटाई और मानव गतिविधियों के कारण हाथियों के प्राकृतिक आवास का तेज़ी से नुकसान हुआ है।
  • भोजन की कमी: वन क्षेत्रों में भोजन की कमी के कारण हाथी खाद्य सामग्री की तलाश में मानव बस्तियों में प्रवेश करते हैं।
  • मानव-हाथी संघर्ष: जब हाथी मानव बस्तियों में प्रवेश करते हैं, तो वे फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और कभी-कभी लोगों पर हमला भी करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ता है।

इस संघर्ष को कम करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • हाथी गलियारों का निर्माण: हाथियों के प्राकृतिक आवास को जोड़ने के लिए हाथी गलियारों का निर्माण किया जा रहा है।
  • हाथियों के लिए भोजन की व्यवस्था: वन क्षेत्रों में हाथियों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है।
  • मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए जागरूकता अभियान: लोगों को हाथियों के प्रति जागरूक करने और संघर्ष को कम करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं।

हालांकि, अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

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