बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार पर अब हाईकोर्ट की तलवार लटक गई है। प्रदेश की भाजपा सरकार ने 20 अगस्त को तीन नए चेहरों—गजेंद्र यादव, गुरु खुशवंत साहेब और राजेश अग्रवाल—को मंत्री पद की शपथ दिलाई थी। इसके साथ ही मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत कुल 14 मंत्री हो गए।
कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है। अब यह पूरा मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है, जहां जनहित याचिका दाखिल कर सामान्य प्रशासन विभाग, मुख्यमंत्री और सभी 14 मंत्रियों को पक्षकार बनाया गया है।
हाईकोर्ट की सख्ती, याचिकाकर्ता से मांगा शपथपत्र
मामले की सुनवाई शुक्रवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में हुई। इस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता बसदेव चक्रवर्ती से शपथपत्र पेश करने को कहा है। अदालत ने उनसे उनके सामाजिक कार्यों और पृष्ठभूमि का विवरण मांगा है ताकि यह परखा जा सके कि याचिका वास्तव में जनहित से जुड़ी है या नहीं। साथ ही राज्य शासन को भी इस मामले में जवाब देने का निर्देश दिया गया है। अब अगली सुनवाई 2 सितंबर को होगी।
कांग्रेस का तर्क – संविधान का उल्लंघन
कांग्रेस का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 164 (1क) के तहत किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा की कुल सीटों के 15% से अधिक नहीं हो सकती। छत्तीसगढ़ विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं, लिहाजा मंत्रियों की संख्या अधिकतम 13 होनी चाहिए। लेकिन 14 मंत्री बनाए जाने के बाद यह सीमा पार हो गई है। कांग्रेस ने इसे पूरी तरह असंवैधानिक करार दिया है।
भाजपा का पलटवार – हरियाणा फार्मूले का हवाला
उधर, भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को निराधार बताया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस तरह का प्रावधान हरियाणा जैसे राज्यों में भी लागू किया गया है और वहां भी इसी फार्मूले पर मंत्रियों की संख्या तय की जाती है। पार्टी का दावा है कि सरकार का कदम पूरी तरह संवैधानिक और वैध है।