रायपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने सिविल जज परीक्षा 2023 के परिणाम को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं की सही ढंग से जांच नहीं की गई, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया। जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई की और पीएससी के निर्देशों को सही ठहराया।
याचिकाकर्ताओं के तर्क
सिविल जज परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों, जिनमें श्रेया उर्मलिया, हेमंत प्रसाद, पराग उपाध्याय, अनुराग केंवट, और हेमू भारद्वाज शामिल थे, ने आरोप लगाया कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं को ठीक से जांचा नहीं गया। उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षा में पैटर्न बदलने के कारण उत्तर देने में गड़बड़ी हुई। अभ्यर्थियों ने प्रश्नों के नीचे दिए गए बॉक्स में उत्तर न लिखकर अन्य स्थान पर उत्तर लिख दिया, जिसके कारण उनकी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच नहीं की गई।
पीएससी का पक्ष
छत्तीसगढ़ पीएससी के अधिवक्ता डॉ. सुदीप अग्रवाल ने अदालत में यह स्पष्ट किया कि उत्तर पुस्तिकाओं में पहले से ही निर्देश दिए गए थे कि प्रत्येक प्रश्न का उत्तर उसी के नीचे दिए गए बॉक्स में लिखना होगा। यह भी बताया गया कि अधिकांश उम्मीदवारों ने इन निर्देशों का पालन किया, जबकि केवल 20% ने नियमों का उल्लंघन किया।
हाईकोर्ट का निर्णय
हाईकोर्ट ने कहा कि पीएससी द्वारा दिए गए निर्देश स्पष्ट थे और अधिकांश उम्मीदवारों ने उनका पालन किया। न्यायालय ने माना कि याचिकाकर्ताओं की गलतियां गंभीर थीं और इनमें हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि मूल्यांकन प्रक्रिया पारदर्शी थी और इसे 15-20 जिला जजों की कमेटी द्वारा किया गया था।