‘जेल में जमानत के नाम पर उगाही’ – हाईकोर्ट की फटकार, DG जेल से मांगा गया जवाब

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में शुक्रवार को उस वक्त सनसनी फैल गई जब विचाराधीन बंदियों के परिजनों से जबरन वसूली और ऑनलाइन माध्यम से अलग-अलग खातों में पैसे जमा कराने का मामला सामने आया। हाई कोर्ट ने इसे बेहद गंभीर मामला मानते हुए छत्तीसगढ़ के जेल महानिदेशक (डीजी जेल) से शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब तलब किया है।

जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया मामला

यह मामला हाई कोर्ट में उस वक्त उजागर हुआ, जब बिलासपुर निवासी लुकेश्वरी जोश अब्राहम ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपने पति की जमानत के लिए याचिका दायर की। उनके पति हत्या के एक मामले में न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। याचिका पर सुनवाई छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की सिंगल बेंच में हुई।

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जेल के भीतर से ही आवेदिका समेत अन्य विचाराधीन कैदियों के परिजनों से जबरन पैसे वसूले गए और उन्हें विभिन्न खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया।

चीफ जस्टिस ने जताई कड़ी आपत्ति

मामले की गंभीरता को देखते हुए चीफ जस्टिस ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए निर्देश जारी किया कि यह स्पष्ट किया जाए कि किस प्रकार विचाराधीन कैदियों के परिजनों को दबाव में लेकर उनसे पैसे वसूले जा रहे हैं। अदालत ने विशेष रूप से यह जानना चाहा कि हत्या जैसे संगीन अपराध में बंद एक आरोपी की पत्नी से किन परिस्थितियों में और किसके कहने पर धनराशि वसूली गई।

राज्य वकील ने दी प्रारंभिक जानकारी

राज्य पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के खाते में भी कुछ धनराशि जमा कराई गई है। हालांकि उन्होंने यह नहीं स्पष्ट किया कि वह राशि किन स्रोतों से आई और किस प्रयोजन के लिए जमा कराई गई थी। कोर्ट ने इस पर असंतोष जताते हुए मामले की पूरी जांच और विस्तृत जानकारी के लिए डीजी जेल को निर्देशित किया कि वे हलफनामा दाखिल करें।

अन्य आरोपी की जमानत पर भी सुनवाई 15 जुलाई को

कोर्ट ने इस मामले में समान अपराध में संलिप्त एक अन्य सह-आरोपी की जमानत याचिका को भी 15 जुलाई 2025 को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही अदालत ने राज्य अधिवक्ता को निर्देश दिया कि इस आदेश की प्रति छत्तीसगढ़ के जेल महानिदेशक, रायपुर को तत्काल भेजी जाए ताकि वह इस मामले की जानकारी ले सकें और अदालत के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।

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