छत्तीसगढ़ भारतमाला परियोजना घोटाला: 220 करोड़ के मुआवजा फर्जीवाड़े में EOW की एक और बड़ी कार्रवाई, बिल्डर ऑफिस में दबिश

रायपुर। भारतमाला परियोजना में मुआवजा वितरण में हुए 220 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने मंगलवार को एक और बड़ी कार्रवाई की। EOW की टीम ने रायपुर के तेलीबांधा स्थित दशमेश बिल्डर्स के दफ्तर में दबिश दी और दस्तावेजों की गहन छानबीन शुरू की।

जांच में सामने आया है कि दशमेश इंस्टावेंचर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साझेदारों में भावना कुर्रे और हरमीत सिंह खनूजा भी शामिल हैं। बता दें कि खनूजा पहले से गिरफ्तार आरोपियों में से एक हैं, जबकि भावना कुर्रे अभनपुर के पूर्व तहसीलदार शशिकांत कुर्रे की पत्नी हैं।

इससे पहले 25 अप्रैल को EOW ने इसी ऑफिस में छापा मारा था, लेकिन दफ्तर बंद होने की वजह से उसे सील कर दिया गया था। अब एक बार फिर जांच टीम ने यहां दस्तावेज खंगालने का सिलसिला शुरू कर दिया है।

अब तक चार गिरफ्तारी, पुलिस रिमांड पर भेजे गए आरोपी

भारतमाला प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण के दौरान की गई गड़बड़ियों को लेकर 26 अप्रैल को EOW ने चार आरोपियों—हरमीत खनूजा, उमा तिवारी, केदार तिवारी और विजय जैन—को गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने इन्हें छह दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है, और फिलहाल पूछताछ जारी है।

क्या है पूरा मामला?

भारत सरकार की भारतमाला परियोजना के अंतर्गत रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण प्रस्तावित है। इस परियोजना के लिए बड़े पैमाने पर किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई, जिसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना था। हालांकि, जांच में सामने आया कि अधिकारियों, बिल्डरों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों के जरिये मुआवजा राशि हड़पी गई।

43 करोड़ से शुरू हुआ मामला अब 220 करोड़ तक पहुंचा

शुरुआती जांच में 43 करोड़ रुपए की गड़बड़ी सामने आई थी, लेकिन विस्तृत जांच के बाद यह आंकड़ा 220 करोड़ रुपए से अधिक पहुंच चुका है। अब तक करीब 164 करोड़ रुपए के संदिग्ध लेनदेन का रिकॉर्ड एजेंसियों के हाथ लग चुका है।

दिल्ली से दबाव के बाद खुला मामला

सूत्रों के मुताबिक, यह मामला दिल्ली से दबाव पड़ने के बाद ही खुल पाया। NHAI के चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने रायपुर कलेक्टर से इसकी जांच की सिफारिश की थी। रिपोर्ट में यह सामने आया कि वास्तविक मुआवजा केवल 35 करोड़ बनता था, लेकिन इसे बढ़ाकर 248 करोड़ रुपए तक वितरित कर दिया गया।

भूमि अधिग्रहण में नियमों की अनदेखी

भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार, किसी भी अधिग्रहित जमीन की कीमत का दोगुना मुआवजा हितग्राही को मिलना चाहिए, जिसमें ‘सोलेशियम’ भी शामिल होता है। लेकिन इस मामले में नियमों की अनदेखी करते हुए बड़ी संख्या में फर्जी क्लेम किए गए और वास्तविक किसानों को अभी भी मुआवजा नहीं मिल पाया है।

जांच एजेंसी की नजर अब अन्य जुड़े हुए बिल्डरों और अधिकारियों पर भी है, और आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे संभव हैं।

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