रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत कार्यरत 16,000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों का विरोध-प्रदर्शन सातवें दिन भी थमता नहीं दिख रहा है। नियमितीकरण, 27% वेतन वृद्धि, ग्रेड पे, मेडिकल बीमा और अनुकंपा नियुक्ति जैसी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर चल रहे इस आंदोलन ने अब और तीखा रूप ले लिया है।
ताली-थाली बजाकर जताया विरोध
17 जुलाई को प्रदेश के सभी 33 जिला मुख्यालयों में NHM कर्मचारियों ने ताली और थाली बजाकर सरकार को उसके पुराने वादे याद दिलाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया। कर्मचारियों का आरोप है कि कोरोना काल में ताली-थाली से सम्मानित करने वाली सरकार, अब उन्हीं कर्मचारियों को उनके हक के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर कर रही है।
कर्मचारियों का आरोप – वादाखिलाफी और उपेक्षा
NHM कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी ने कहा कि यह आंदोलन केवल वेतन या सुविधा की मांग नहीं, बल्कि 20 वर्षों से लंबित न्याय की मांग है। उन्होंने कहा कि अब तक 100 से अधिक ज्ञापन राज्य और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों को सौंपे जा चुके हैं, लेकिन किसी स्तर पर गंभीरता नहीं दिखाई गई।
आंदोलन का चरणबद्ध कार्यक्रम:
- 10 जुलाई: सभी विधायकों को ज्ञापन सौंपा
- 11 जुलाई: भाजपा जिला अध्यक्षों को ज्ञापन
- 12–15 जुलाई: काली पट्टी लगाकर कार्य
- 16 जुलाई: जिला स्तर पर धरना व रैली
- 17 जुलाई: ताली-थाली बजाकर विरोध
- 18 जुलाई: राजधानी रायपुर में विधानसभा घेराव
कर्मचारियों की 10 सूत्रीय प्रमुख मांगें:
- नियमितीकरण
- समान कार्य के लिए समान वेतन
- ग्रेड पे का निर्धारण
- मेडिकल बीमा सुविधा
- अनुकंपा नियुक्ति नीति
- 27% वेतन वृद्धि
- सेवा सुरक्षा
- सामाजिक सुरक्षा लाभ
- पदोन्नति नीति
- भविष्य निधि (PF) योजना में शामिल करना
स्वास्थ्य सेवाएं हो सकती हैं बाधित
संविधानिक संस्थानों और जनप्रतिनिधियों को लगातार ज्ञापन सौंपने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि 18 जुलाई के विधानसभा घेराव के बाद यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं। इससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा सकती हैं।