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आयुष्मान योजना से हटाए गए मितानों ने की समायोजन की मांग, नहीं सुनने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी

रायपुर। आयुष्मान भारत योजना में वर्षों तक अपनी सेवाएं देने वाले छत्तीसगढ़ के सैकड़ों स्वास्थ्य मितान अब बेरोजगार हो गए हैं। ठेका समाप्त होने के बाद इन मितानों ने सरकार और स्वास्थ्य मंत्री से अपील की है कि उन्हें स्टेट हेल्थ एजेंसी में डाटा एंट्री ऑपरेटर जैसे पदों पर समायोजित किया जाए। सुनवाई न होने की स्थिति में उन्होंने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

स्वास्थ्य मितानों का कहना है कि वे बीते 10-12 वर्षों से राज्य के 33 जिलों में थर्ड पार्टी कंपनियों के माध्यम से आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत कार्यरत थे। उन्होंने आयुष्मान कार्ड बनाने, वय वंदन कार्ड प्रोसेस करने, क्लेम वेरिफिकेशन और अपलोडिंग जैसे तकनीकी व प्रशासनिक कार्यों में अहम योगदान दिया है।

मितानों ने बताया कि छत्तीसगढ़ ने आयुष्मान कार्ड जनरेशन और क्लेम प्रोसेसिंग में देशभर में अग्रणी प्रदर्शन किया, जिसका बड़ा श्रेय उनके कार्य को जाता है। इसके बावजूद उनका ठेका 30 अप्रैल 2025 को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के समाप्त कर दिया गया।

उनका यह भी आरोप है कि बीते 4-5 महीनों से उन्हें वेतन तक नहीं मिला, फिर भी उन्होंने ईमानदारी से सेवा दी। अब वे मांग कर रहे हैं कि उनके अनुभव और योगदान को देखते हुए उन्हें स्थायी या वैकल्पिक पदों पर समायोजित किया जाए ताकि योजना की निरंतरता बनी रहे और उनका परिवार भी प्रभावित न हो।

मितानों ने चेताया है कि अगर सरकार ने जल्द फैसला नहीं लिया तो वे ज्ञापन अभियान के साथ-साथ उग्र आंदोलन की राह पर जाएंगे, जिसकी ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

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