छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी प्रक्रिया 14 नवम्बर से शुरू होगी। ओडिशा से सटे सीमावर्ती इलाकों में हो रही बोगस खरीदी और उठाव को रोकने के लिए इस बार शासन ने सख्त नीति बनाई है। कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने जिले के 90 खरीदी केंद्रों को निर्देश जारी किए हैं ताकि इस नई नीति का कड़ाई से पालन किया जा सके।
कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने बताया कि नए प्रावधानों के अनुसार, छोटे किसानों को 2 और बड़े किसानों को 3 टोकन जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, टोकन निरस्त कराने वाले किसान को अब दोबारा टोकन कटवाने की सुविधा नहीं मिलेगी। टोकन भी एक सप्ताह पहले से कटवाना अनिवार्य होगा ताकि किसी गड़बड़ी की आशंका पर प्रशासन जांच कर सके। खरीदी केंद्र से राइस मिल तक धान के उठाव पर कड़ी निगरानी रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिससे ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जा सकेगी। गिरदावरी का ई-सत्यापन भी कराया जा रहा है ताकि फसल का सत्यापन सुनिश्चित हो सके।
कैसे होता था धान खरीदी में फर्जीवाड़ा
देवभोग और अमलीपदर तहसील में प्रति एकड़ औसतन 10-12 क्विंटल धान का उत्पादन होता है, जबकि सरकार 21 क्विंटल धान खरीदी करती है। इस अंतर को भरने के लिए कई किसान ओडिशा के धान पर निर्भर रहते हैं। पहले किसान टोकन कटवाकर जुगाड़ में धान केंद्र तक पहुंचते थे, और जुगाड़ न होने पर टोकन निरस्त करा देते थे। सफल होने पर दोबारा टोकन कटवा लिया जाता था, लेकिन अब नए नियमों के कारण यह प्रक्रिया जटिल हो गई है और जुगाड़ के लिए समय नहीं मिलेगा।
सख्त निगरानी और ऑनलाइन मॉनिटरिंग
कुछ किसानों के साथ सेटिंग करने वाले कर्मचारी बोगस बिक्री के लिए बड़े रकबे का पट्टा रख लेते थे। सप्ताह पहले टोकन कटाने के नियम से प्रशासन के पास शिकायत मिलने पर सत्यापन का मौका होगा। वहीं, धान उठाव और मिल तक के सफर में बोगस गतिविधियों को रोकने के लिए हर खरीदी केंद्र और मिल के बीच कैमरे लगाए गए हैं। कलेक्टर कार्यालय के मुख्य सर्वर से जुड़े ये कैमरे ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए उपयोग किए जाएंगे, जिससे किसी भी अनियमितता को तुरंत पकड़ा जा सकेगा।