Raipur। छत्तीसगढ़ में स्थित देवी महालक्ष्मी का प्राचीन मंदिर, जिसे लखनी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है, हजारों भक्तों का आस्था केंद्र है। यह मंदिर रतनपुर के इकबीरा पहाड़ी पर स्थित है, जो बिलासपुर से लगभग 25 किमी दूर है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजा रत्नदेव तृतीय के मंत्री गंगाधर ने 1179 ईस्वी में करवाया था। इसकी स्थापना के बाद से ही राज्य में सुख-समृद्धि, खुशहाली और अकाल व महामारी का अंत हुआ। मंदिर की संरचना शास्त्रों में वर्णित पुष्पक विमान के आकार में है, और इसके गर्भगृह में श्रीयंत्र का अंकन भी है।
हर गुरुवार होती है विशेष पूजा
मार्गशीर्ष महीने के गुरुवारों को देवी महालक्ष्मी की विशेष पूजा होती है। दीपावली पर 252 सीढ़ियों की चढ़ाई कर सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। दीपावली के दिन विशेष श्रृंगार और पूजा विधान किया जाता है, जिससे मां महालक्ष्मी के आशीर्वाद से धन-वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मां अष्टदल कमल पर विराजमान
मंदिर की संरचना वास्तु के अनुसार पुष्पक विमान जैसे आकार में बनाई गई है। देवी महालक्ष्मी यहां अष्टदल कमल पर विराजमान हैं और उनके स्वरूप को सौभाग्य लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में सौभाग्य लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से सौभाग्य प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।