Bilaspur : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सहकारिता विभाग के 5 आईएएस अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामला एक अधिकारी द्वारा जिंदा पत्नी के रहते दूसरा विवाह करने और विभागीय कार्रवाई में देरी का है। कोर्ट ने पूछा है कि क्यों न इनके खिलाफ न्यायालयीन अवमानना अधिनियम 1971 के तहत कार्रवाई की जाए।
क्या है मामला?
सहकारिता विभाग के तत्कालीन संयुक्त पंजीयक सुनील तिवारी पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सेवा आचरण नियम, 1965 के नियम 22 का उल्लंघन किया। तिवारी ने अपनी पहली पत्नी के जीवित रहते हुए बिना सरकारी अनुमति के दूसरा विवाह किया और उससे संतान भी उत्पन्न की।
शिकायतकर्ता विनय शुक्ला ने 25 अक्टूबर 2020 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें तिवारी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 166, 420 और 34 के तहत अपराध करने का आरोप लगाया गया। शिकायत में तिवारी को निलंबित करने और उनके खिलाफ विभागीय जांच की मांग की गई थी।
किन अधिकारियों को नोटिस?
हाई कोर्ट ने निम्न आईएएस अधिकारियों को नोटिस जारी किया है:
- हिमशिखर गुप्ता (तत्कालीन सचिव, सहकारिता)
- सीआर प्रसन्ना (वर्तमान सचिव, सहकारिता)
- रमेश शर्मा (तत्कालीन पंजीयक, सहकारिता)
- दीपक सोनी (तत्कालीन पंजीयक, सहकारिता)
- कुलदीप शर्मा (वर्तमान पंजीयक, सहकारिता)
शिकायतकर्ता का आरोप
शिकायतकर्ता का कहना है कि अधिकारियों ने जानबूझकर हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना की और कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने लीगल नोटिस भी भेजा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
छह महीने में होनी थी जांच
27 जुलाई 2021 को शिकायतकर्ता ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। कोर्ट ने 29 सितंबर 2023 को आदेश दिया कि सुनील तिवारी के खिलाफ 6 महीने के भीतर जांच पूरी की जाए। लेकिन अब तक न तो तिवारी को निलंबित किया गया और न ही जांच शुरू हुई।
कोर्ट की टिप्पणी
12 सितंबर 2024 को शिकायतकर्ता ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान जस्टिस एनके व्यास की बेंच ने कहा कि अधिकारियों ने आदेश का पालन नहीं किया और न्याय प्रणाली का उल्लंघन किया है। अब नोटिस के जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी।