गरियाबंद के फिंगेश्वर ब्लॉक के ग्राम बेलर की बेटियां आशा, ऋतु और वर्षा ने अपने पिता के अंतिम संस्कार में बेटे का फर्ज निभाकर समाज के सामने एक मिसाल पेश की है।
वैसे तो हिन्दू रीति रिवाजों में बेटे ही मुखाग्नि देते हैं, लेकिन इन बेटियों ने अपनी हिम्मत और साहस से यह दिखा दिया कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं।
पिता का साथ छूटने के बाद भी इन बेटियों की हिम्मत नहीं टूटी और उन्होंने अपने पिता को अंतिम विदाई दी।
यह निश्चित रूप से एक प्रेरणादायक घटना है और समाज के लिए एक बड़ा संदेश है।
इन बेटियों के जज्बे को देखकर लोगों की आंखें नम हो गईं और उन्होंने इनकी तारीफ की।
यह घटना समाज में बेटियों के प्रति सोच बदलने में मदद करेगी और उन्हें समान अधिकार और सम्मान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इन बेटियों की हिम्मत और साहस सचमुच प्रेरणादायक है और समाज के लिए एक मिसाल है।