छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में जारी पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के विरोध में स्थानीय आदिवासियों और पर्यावरण प्रेमियों ने 250 किलोमीटर लंबी पदयात्रा का आयोजन किया है। यह क्षेत्र अपनी जैव विविधता, घने जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में खनन परियोजनाओं के लिए जंगलों को काटा जा रहा है, जिससे स्थानीय पर्यावरण और लोगों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है।
पदयात्रा का उद्देश्य जंगलों को बचाने और खनन परियोजनाओं को रोकने के लिए सरकार और जनता का ध्यान आकर्षित करना है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये कटाई न केवल पर्यावरणीय संकट को बढ़ावा देगी, बल्कि आदिवासी समुदायों के पारंपरिक जीवन और उनके अधिकारों को भी छीन लेगी।
यह पदयात्रा एक बड़ी जन आंदोलन का रूप ले चुकी है और इसमें महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों सहित सभी आयु वर्ग के लोग हिस्सा ले रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि सरकार तत्काल प्रभाव से इस क्षेत्र में खनन गतिविधियों को रोके और जंगलों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।
हसदेव अरण्य को बचाने की इस लड़ाई ने राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है, और यह सवाल खड़ा किया है कि क्या विकास की कीमत पर पर्यावरण की अनदेखी करना उचित है।