रायपुर: छत्तीसगढ़ी भाषा छात्र विकास समिति और एमए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन ने प्रेस कॉफ्रेंस कर स्कूल शिक्षा विभाग में छत्तीसगढ़ी भाषा शिक्षकों के लिए अलग से पद निकालने की मांग की। विकास समिति के अध्यक्ष ऋतुराज साहू ने बताया कि पंडित सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय में एमए छत्तीसगढ़ी की पढ़ाई कर रहे छात्रों को शिक्षक बनने के लिए कोई अवसर नहीं मिल पा रहा है।

प्रमुख मांगें:
1) स्कूली शिक्षा भर्ती में जो छत्तीसगढ़ी भाषा के लिये निकाला जाना हैं छत्तीसगढ़ी भाषा के लिये अलग से पद निकाला जाये, न कि हिंदी के साथ जोड़ कर पद दिया जाये…
2) शिक्षक भर्ती में जैसे कृषि, संगीत,तबला, प्रयोगशाला परिचायक में उनकी डिग्री को आधार मान कर नियुक्ति किया जाता हैं अन्य शैक्षणिक योग्यता डी. एड, बी. एड, टेट, ये सभी में छूट का प्रावधान हैं उसी तरह छत्तीसगढ़ी के रोजगार भर्ती में सिर्फ मास्टर डिग्री छत्तीसगढ़ी को लिया जाना चाहिए |
3) 10 वर्षो से एम. ए. छत्तीसगढ़ी का सेटअप ( रोजगार ) के लिये स्कूली शिक्षा में बना लेना था पर शासन नें सेटअप नहीं बनाया जिससे सेटअप नहीं होनें एम. ए. छत्तीसगढ़ी डिग्रीधारी डी. एड, बी. एड, से वंचित हो गये अतः डी. एड, बी. एड की अनिवार्यता को भाषायी विकास के लिये शिथिल रखा जाना चाहिए |
4) राज्य में संचालित 753 आत्मानंद हिंदी माध्यम के स्कूलों में एम. ए. छत्तीसगढ़ी डिग्रीधारी की नियुक्ति व्याख्याता के रूप में किया जाना चाहिए |
5) जिन जिन विश्वविद्यालयों में एम. ए. छत्तीसगढ़ी कोर्स संचालित हो रहा हैं वर्तमान में पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर, डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय बिलासपुर, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर, आईएसबीएम विश्वविद्यालय, पंडित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय बिलासपुर, इन सब में मास्टर डिग्रीधारी छात्रों की पद सेटअप कर अतिथि व्याख्याता, संविदा सह प्राध्यापक में नियुक्ति किया जाना चाहिए |
6) छत्तीसगढ़ी प्रदेश की ढाई करोड़ लोगों की जनभाषा / मातृभाषा हैं चूंकि इसे राजभाषा भी बनाना हैं तो इसे महानदी भवन, इंद्रवती भवन, सभी कलेक्टोरेट ऑफिस, एम्स हॉस्पिटल, आकाशवाणी जैसे विभिन्न संस्थानों में अनुवादक, छत्तीसगढ़ी समन्यवयक, सलाहकार, पीआरओ, के रूप में नियुक्ति किया जाना चाहिए |
7)सभी 33 जिलों में राजभाषा का विस्तार करते हुए ” छत्तीसगढ़ी राजभाषा अधिकारी ” के रूप में मास्टर डिग्रीधारियों की व्यापम के माध्यम से नियुक्ति किया जाना चाहिए |
8) पूर्व में राज्य SCERT के द्वारा छत्तीसगढ़ी भाषा को एक विषय के रूप में पहली से पाँचवी तक पढ़ाने पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाना था उसे बिना देरी किये इसी शिक्षा सत्र से लागू कर हर ब्लाक स्तर या संकुल स्तर पर एम. ए. छत्तीसगढ़ी डिग्रीधारियों को रोजगार दिया जाना राज्य हित में आवश्यक होगा |
9) 2013 से रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर सहित अन्य विश्वविद्यालय में एम. ए. छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम संचालित हैं जिसमे लगभग 1000 छात्र डिग्री पूर्ण एवं अध्यनरत हैं जिनके रोजगार की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गयी हैं चूंकि ये सभी छात्र – छात्राएं भाषा और संस्कृति के राजदूत हैं अतः इनके रोजगार की अतिशीघ्र व्यवस्था होनी चाहिए |