धरसींवा हत्याकांड: मृतक की असली पहचान पर सवाल, औद्योगिक इकाइयों में जांच की मांग

रायपुर। धरसींवा के धनेली स्थित घंटी मशीन में 22 अगस्त की रात को हुई जेसीबी चालक की हत्या के मामले में नए और चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले लोगों की पहचान की जांच की आवश्यकता को उजागर कर रहे हैं। पुलिस ने इस हत्या के सिलसिले में मानीकराम और उसकी पत्नी आशा बाई को गिरफ्तार किया है। घटना के पीछे की वजह पड़ोसन के साथ दुष्कर्म के प्रयास को बताया जा रहा है, जिसके चलते हत्या हुई।

पुलिस की जांच में पता चला है कि मृतक के पास जो ड्राइविंग लाइसेंस मिला था, उसमें उसका नाम लक्ष्मण सिंह दर्ज था, लेकिन यह लाइसेंस फर्जी निकला। यही नहीं, पुलिस को मृतक के पास से दो आधार कार्ड भी मिले, जिनमें से एक में नाम बलिराम और दूसरे में मनीराम था। दोनों आधार कार्डों में पता मध्यप्रदेश के शहडोल जिले का था, जबकि ड्राइविंग लाइसेंस में चांपा का पता दर्ज था।

यह स्थिति पुलिस के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करती है—मृतक का असली नाम क्या था? लक्ष्मण सिंह, मनीराम, या बलिराम? मृतक की असली पहचान स्पष्ट न होने के कारण पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव को घंटी मशीन के संचालक अनिल साहू को सौंप दिया। मृतक के परिजनों का कोई सुराग नहीं मिला, जिससे उसकी पहचान और भी उलझनभरी हो गई है।

इस घटना ने औद्योगिक क्षेत्र की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं, खासकर राजधानी से सटे उरला, सिलतरा, और तिल्दा जैसे क्षेत्रों में। यह संभव है कि वहां काम करने वाले कई अन्य लोग भी फर्जी पहचान का उपयोग कर रहे हों, जिनकी पृष्ठभूमि संदिग्ध हो सकती है।

इस स्थिति में, पुलिस और प्रशासन के लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि वे इन क्षेत्रों में काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का बायोडाटा लेकर उसकी जांच करें। अगर समय रहते इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति हो सकती है।

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