बिलासपुर। बर्खास्तगी के खिलाफ हाई कोर्ट में खुद अपना केस लड़ने वाली महिला जज आकांक्षा भारद्वाज ने बड़ी जीत हासिल की है। 7 साल पहले स्थायी समिति की अनुशंसा पर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन अब हाई कोर्ट ने उन्हें वरिष्ठता के साथ बहाल करने का आदेश दिया है। इसके बाद 3 दिसंबर 2024 को उनकी पोस्टिंग महासमुंद में की गई।
मामला और बर्खास्तगी की पृष्ठभूमि
आकांक्षा भारद्वाज ने 2013 में सिविल जज के रूप में नियुक्ति पाई थी। नियुक्ति के बाद शुरुआती प्रशिक्षण और अंबिकापुर में स्वतंत्र प्रभार के दौरान उन्होंने एक सीनियर मजिस्ट्रेट पर अनुचित व्यवहार के आरोप लगाए। हालांकि, उनकी शिकायत पर गठित हाई कोर्ट की आंतरिक कमेटी ने 2016 में रिपोर्ट दी कि आरोप निराधार हैं। इसके बाद उनकी अपील खारिज कर दी गई और फरवरी 2017 में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
हाई कोर्ट में अपनी लड़ाई खुद लड़ी
आकांक्षा ने बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका दायर की और केस की सुनवाई के दौरान खुद अपने पक्ष में बहस की। मई 2024 में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने उनके पक्ष में फैसला दिया और उन्हें वरिष्ठता के साथ बहाल करने का आदेश दिया। हालांकि, बैक वेजेस देने से इनकार किया गया।
इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट और विधि-विधायी विभाग ने अपील की। वहीं, आकांक्षा ने भी सिंगल बेंच के आदेश के एक हिस्से को चुनौती दी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने अपील सुनवाई के बाद महिला जज के पक्ष में फैसला सुनाया।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद आकांक्षा भारद्वाज को महासमुंद में सिविल जज के पद पर पदस्थ किया गया है।