डोंगरगढ़। मां बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट समिति के चुनाव के दिन डोंगरगढ़ शहर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। चुनाव को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने विरोध जताया और मंदिर ट्रस्ट में 50% आरक्षण की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। इस कारण प्रशासन पूरे दिन अलर्ट मोड पर रहा और शहर में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई, जिससे किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को टाला जा सके।
शांतिपूर्ण रहा मतदान, तीन श्रेणियों में पड़े वोट
रविवार को सुबह से ही मंदिर ट्रस्ट के दोनों पैनल और निर्दलीय प्रत्याशी मतदाताओं को साधने में जुटे रहे। मंदिर समिति चुनाव में तीन श्रेणियों—साधारण, आजीवन और संरक्षण वर्ग—में मतदान हुआ।
- साधारण श्रेणी में 1537 में से 1465 मत पड़े।
- आजीवन श्रेणी में 917 में से 804 मतदाताओं ने वोट डाले।
- संरक्षण श्रेणी में 522 में से 496 मत पड़े।
मतदान प्रक्रिया पूरे दिन शांतिपूर्ण तरीके से चली और सोमवार को नतीजे घोषित किए जाएंगे।
आदिवासी समाज ने किया प्रदर्शन, उठाई अधिकार की मांग
चुनाव के समानांतर हाई स्कूल मैदान में सर्व आदिवासी समाज ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने ट्रस्ट समिति में आदिवासी समुदाय को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की। समाज का कहना था कि माँ बम्लेश्वरी उनकी कुलदेवी हैं और उनका गोत्र ‘उइके’ देवी से जुड़ा हुआ है, इसलिए मंदिर पर आदिवासी समाज का भी अधिकार होना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों ने यह आरोप लगाया कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने मंदिर प्रबंधन पर कब्जा जमा लिया है और आदिवासी समाज को जानबूझकर इससे दूर रखा जा रहा है। शाम होते-होते आंदोलनकारियों ने मुख्य मार्ग पर जाम लगाकर विरोध और तेज कर दिया।
प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन, उग्र आंदोलन की चेतावनी
आंदोलनकारियों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए तीन महीने की मोहलत दी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तय समय सीमा में उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है, तो वे बड़ा और उग्र आंदोलन करेंगे।
पूरे शहर में तैनात रही पुलिस, अधिकारी रहे मुस्तैद
आंदोलन और चुनाव की संवेदनशीलता को देखते हुए डोंगरगढ़ के हर हिस्से में पुलिस बल तैनात किया गया। डोंगरगढ़ एसडीएम अभिषेक तिवारी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी दिनभर मौके पर मौजूद रहे और आंदोलनकारियों से संवाद स्थापित कर स्थिति को शांतिपूर्ण बनाए रखने की कोशिश करते रहे।
पुलिस अधिकारियों ने भी प्रदर्शनकारियों से लगातार बातचीत कर तनाव को बढ़ने नहीं दिया। अंततः किसी प्रकार की हिंसा या टकराव की स्थिति नहीं बनी।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: राजपरिवार से ट्रस्ट तक
माँ बम्लेश्वरी मंदिर का इतिहास 18वीं सदी से जुड़ा है। इसका निर्माण खैरागढ़ रियासत के राजा कमल नारायण सिंह ने करवाया था, जो देवी भक्ति में समर्पित थे और कई प्रसिद्ध जस और पचरा के रचयिता माने जाते हैं। बाद में 1976 में राजा बीरेन्द्र बहादुर सिंह ने मंदिर का पुनर्निर्माण कर ट्रस्ट का गठन किया और मंदिर संचालन ट्रस्ट समिति को सौंपा गया।
अब आदिवासी समाज की मांगों के चलते यह धार्मिक ट्रस्ट विवादों में आ गया है। चुनाव तो शांतिपूर्वक संपन्न हो गया, लेकिन आने वाले समय में आदिवासी समाज का आंदोलन इस मुद्दे को और बड़ा बना सकता है।