खैरागढ़। “सरकारी नौकरी पक्की है, बस थोड़ा खर्च करना होगा…” – ऐसे ही झूठे सपनों में फंसाकर दो ठगों ने खैरागढ़ के पांच लोगों से कुल ₹37 लाख 67 हजार 900 रुपये ठग लिए। सपना था शिक्षक, चपरासी और लेबर इंस्पेक्टर बनने का, लेकिन बदले में मिला सिर्फ धोखा और झूठे चेक। अब इस ठगी कांड ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है।
कैसे शुरू हुआ ठगी का जाल?
वर्ष 2022 में स्वास्थ्य विभाग की जीवन दीप समिति में कार्यरत और कल्याण संघ के कोषाध्यक्ष संतोष देवांगन की रायपुर में बिशेसर ध्रुव से मुलाकात हुई। खुद को मंत्रालय से जुड़ा बताने वाले बिशेसर ने दावा किया कि वह सरकारी नौकरियां लगवा सकता है। बात इतनी चिकनी थी कि संतोष ही नहीं, उनके परिवार और रिश्तेदार – संजू, विद्या, त्रिलोक और विवेक – भी झांसे में आ गए।
बातचीत के बाद बिशेसर ने अलग-अलग पदों के लिए रेट भी तय किए –
लेबर इंस्पेक्टर – ₹20 लाख
शिक्षक – ₹15 लाख
चपरासी – ₹8 लाख
25 दिसंबर 2022 को गंडई में बैठक हुई और सबने छह महीने में नौकरी मिलने की उम्मीद में पैसे देने का फैसला कर लिया। पैसा नकद और ऑनलाइन दोनों तरीके से रायपुर, धमधा और गंडई में दिया गया।
ठगी का खुलासा
समय बीता, न नौकरी लगी और न ही कोई नियुक्ति पत्र मिला। जब संतोष ने पैसे वापस मांगे तो बिशेसर और उसके साथी भुवनेश ने चेक थमा दिए – जो बाद में बाउंस हो गए। आखिरकार, ठगे गए लोगों ने 27 अप्रैल 2025 को गंडई थाने में मामला दर्ज कराया।
पुलिस की कार्रवाई
एसपी त्रिलोक बंसल के निर्देशन में गंडई पुलिस और साइबर सेल की टीम ने तुरंत कार्रवाई की। रायपुर और बलौदाबाजार से दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में दोनों ने ठगी की बात कबूल ली।
पहले भी था आरोपी भुवनेश का ठगी में नाम
जांच में यह भी सामने आया कि भुवनेश देवांगन पहले भी बीजापुर में ₹38 लाख की ठगी कर चुका है। उस समय भी उसने सरकारी नौकरी का झांसा दिया था। फिलहाल वह जमानत पर बाहर था।
पुलिस कर रही है बड़े रैकेट की जांच
फिलहाल दोनों आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं और पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इस गिरोह ने कितने और लोगों को इसी तरह झांसे में लिया है।