दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग में धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी को लेकर सियासी संग्राम तेज हो गया है। सोमवार को इंडिया गठबंधन के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दुर्ग जेल पहुंचा और ननों से मुलाकात की। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू और दुर्ग शहर के पूर्व विधायक अरुण वोरा भी मौजूद रहे।
सांसदों को पहले रोका, फिर दी गई इजाजत
सांसदों को शुरू में जेल प्रशासन ने ननों से मिलने की अनुमति नहीं दी। बाद में जेल डीजी के हस्तक्षेप के बाद मुलाकात की इजाजत मिली। मुलाकात के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए सांसदों ने कहा कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित कर रही है और यह घटना उसी कड़ी का हिस्सा है।
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा, “लोकसभा से समय निकालकर आए सांसदों को जेल में बंद महिला बंदियों से मिलने से रोकना, राज्य सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।”
सांसद बेनी बेहनान का आरोप — अल्पसंख्यक सबसे ज्यादा प्रताड़ित
केरल से सांसद बेनी बेहनान ने कहा, “दोनों नन मेरे ही लोकसभा क्षेत्र की हैं और मैं उन्हें अच्छी तरह जानता हूं। यह साफ है कि देशभर में सबसे अधिक अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है। बजरंग दल और आरएसएस के अन्य संगठनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां न तो धर्मांतरण है और न ही मानव तस्करी का कोई मामला।”
कपड़ों के आधार पर की गई अभद्रता : सांसद सप्तगिरि उल्का
कांग्रेस सांसद सप्तगिरि उल्का ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने केवल महिला ननों के कपड़े देखकर उनके साथ अभद्रता की और फिर उन पर झूठे आरोप लगाकर पुलिस ने जेल भेज दिया। हम इस मामले की कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से भी इस पर मुलाकात करेंगे।”
पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दो ननों और एक युवक को रोककर मानव तस्करी और धर्मांतरण का आरोप लगाया था। आरोप था कि वे नारायणपुर जिले की तीन युवतियों को बहला-फुसलाकर आगरा ले जा रहे थे। हंगामे के बाद जीआरपी ने उन्हें हिरासत में लिया और पूछताछ के बाद धर्मांतरण अधिनियम की धारा 4 के तहत मामला दर्ज कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया।