सरकारी नौकरी का लालच देकर 70 लाख की ठगी, पिता-पुत्र गिरफ्तार, तीसरा आरोपी फरार

दुर्ग। सरकारी नौकरी का झांसा देकर बेरोजगार युवाओं से लाखों रुपये ऐंठने वाले एक ठग गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। अंजोरा स्थित वेटनरी कॉलेज के स्टाफ क्वार्टर में बैठकर ठगी का खेल चल रहा था। इस पूरे मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी पिता-पुत्र को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उनका तीसरा साथी अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है।

पीड़ित की शिकायत पर हुआ खुलासा

बालोद जिले के ग्राम चीरचार निवासी संतराम देशमुख (54) इस पूरे मामले में पहले शिकार बने। उन्होंने 2 जुलाई को अंजोरा थाने में शिकायत दर्ज कराई। संतराम ने पुलिस को बताया कि आरोपी भेषराम देशमुख (62) और उसका बेटा रविकांत देशमुख (32) मंत्रालय में नौकरी दिलाने का दावा करते थे। उनके झांसे में आकर संतराम ने 5 लाख रुपये नगद दे दिए। लेकिन न नौकरी मिली और न ही नियुक्ति पत्र।

और भी लोग निकले ठगी के शिकार

पुलिस जांच के दौरान पता चला कि यह ठगी सिर्फ एक व्यक्ति के साथ नहीं हुई थी। जांच में लोमश देशमुख और हेमंत कुमार साहू भी सामने आए। दोनों ने आरोप लगाया कि गिरोह ने उनसे भी नकद और ऑनलाइन पेमेंट के जरिए लाखों रुपये वसूले। पुलिस ने पीड़ितों से मिले ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और रकम से जुड़े सभी दस्तावेज जब्त कर लिए हैं।

70 लाख की ठगी का कबूलनामा

पुलिस ने 6 सितंबर को दुर्ग बस स्टैंड से भेषराम और रविकांत को गिरफ्तार किया। पूछताछ में दोनों ने स्वीकार किया कि उन्होंने राजनांदगांव निवासी अपने साथी अरुण मेश्राम के साथ मिलकर 70 लाख रुपये की ठगी की है। आरोपियों ने बताया कि इस रकम में से पिता-पुत्र ने लगभग 20 लाख रुपये अपने पास रखे थे। इनमें से 12 लाख रुपये से उन्होंने ग्राम कुथरेल में एक प्लॉट खरीदा, जबकि बाकी रकम खर्च कर दी।

पुलिस ने की संपत्ति जब्त

गिरफ्तार आरोपियों से पुलिस ने खरीदे गए प्लॉट की रजिस्ट्री, बैंक पासबुक और एक डायरी बरामद की है। वहीं, तीसरा आरोपी अरुण मेश्राम अभी फरार है। उसकी तलाश के लिए पुलिस की टीम लगातार दबिश दे रही है।

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