रायपुर। राजधानी की लालपुर स्थित कंपोजिट शराब दुकान में करोड़ों के शराब फर्जीवाड़ा कांड में नया मोड़ आया है। जिला आबकारी विभाग और फ्लाइंग स्क्वॉड की संयुक्त कार्रवाई में प्लेसमेंट एजेंसी के कर्मचारी शेखर बंजारे को गिरफ्तार किया गया है। यह वही मामला है जिसमें 22 दिन पहले दुकान में मिलावटी और बिना होलोग्राम वाली शराब बेचने का खुलासा हुआ था।
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में शेखर ने चौंकाने वाला बयान दिया है। उसने बताया कि यह सारा खेल दुकान के इंचार्ज अधिकारियों की जानकारी और संरक्षण में चल रहा था, और इसके बदले मोटी रकम “साहबों” तक पहुंचाई जाती थी।
12 लाख का हिसाब गायब, सीसीटीवी फुटेज भी संदेह के घेरे में
इस शराब दुकान में पहले भी 12 लाख रुपए की शॉर्टेज पाई गई थी। आबकारी विभाग की शुरुआती जांच में इस मामले में प्लेसमेंट एजेंसी के कर्मचारियों पर दो फर्जीवाड़े के केस दर्ज किए गए हैं। परंतु राज्य स्तरीय उड़नदस्ता टीम को सीसीटीवी की डीवीआर नहीं सौंपी गई, जिससे अब सवाल उठने लगे हैं कि जिला आबकारी विभाग इसे अब तक क्यों छुपा रहा है?
फरार सागर सोनवानी की तलाश, एजेंसी भी संदेह के घेरे में
शेखर बंजारे की गिरफ्तारी के बाद अब इस फर्जीवाड़े के दूसरे मुख्य आरोपी सागर सोनवानी की तलाश में टीमें लगी हैं। वहीं, मध्यप्रदेश से जुड़े तार और प्लेसमेंट एजेंसी के उच्च अधिकारियों की भूमिका भी अब जांच के दायरे में आ गई है।
सूत्रों की मानें तो अब तक तीन-चार एजेंसी कर्मियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन माना जा रहा है कि इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सिर्फ सुपरवाइजर और कुछ कर्मचारियों के स्तर पर नहीं हो सकता। इसलिए अब मामले की जांच पुलिस को भी सौंप दी गई है।
भाई के दस्तावेज से नौकरी हासिल करने का आरोप
थाने में दर्ज एफआईआर में यह भी सामने आया है कि आरोपी शेखर बंजारे ने प्लेसमेंट एजेंसी में नौकरी अपने भाई के नाम और दस्तावेजों से हासिल की थी, जो कि एक और गंभीर अपराध है। इससे स्पष्ट होता है कि एजेंसी द्वारा कर्मियों की वैधता की जांच नहीं की गई थी, या जानबूझकर अनदेखा किया गया।
कैमरे बंद कर होती थी फर्जी बिक्री, आबकारी अमले की भी संलिप्तता
सूत्रों के अनुसार, शराब दुकान में पिछले 3-4 महीने से फर्जीवाड़ा चल रहा था। जब भी मिलावटी या बिना होलोग्राम वाली शराब बेची जाती थी, दुकान के सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए जाते थे। इतना ही नहीं, सस्ती शराब को महंगी बोतलों में भरकर भी बेचा जाता था।