उच्चतम न्यायालय ने 15 फरवरी 2024 को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और 19(1)(g) का उल्लंघन करती है, जो क्रमशः सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करते हैं।
न्यायालय ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना पारदर्शिता की कमी से ग्रस्त है और यह राजनीतिक दलों को गुमनाम चंदे प्राप्त करने की अनुमति देती है। यह नागरिकों को यह जानने का अधिकार छीन लेता है कि राजनीतिक दलों को कौन फंडिंग कर रहा है।
इस योजना को सरकार ने 2 जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था। इसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने के लिए धन जुटाने में मदद करना था।
यह योजना काफी विवादास्पद रही है। कई लोगों ने यह तर्क दिया कि यह योजना राजनीतिक दलों को अज्ञात स्रोतों से धन प्राप्त करने की अनुमति देकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगी।
न्यायालय के इस फैसले का स्वागत कई लोगों ने किया है। यह फैसला राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने में मदद करेगा।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह फैसला राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह एकमात्र कदम नहीं है। राजनीतिक दलों के वित्तपोषण को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए कई अन्य सुधारों की आवश्यकता है.