छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के सदस्य आज राज्य के उद्योगों को दी जाने वाली बिजली दरों में कमी की मांग को लेकर अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। यह कदम तब उठाया जा रहा है जब राज्य के सैकड़ों उद्योग मालिकों ने लगभग 400 करोड़ रुपये का बिजली बिल अदा नहीं किया है।
बिजली दरों का बढ़ता बोझ
उद्योग संघ का कहना है कि बढ़ी हुई बिजली दरों के कारण लौह उद्योगों पर भारी आर्थिक दबाव है। इस संकट के चलते 12 से 15 उद्योग बंद हो चुके हैं, जबकि 300 से अधिक उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। संघ का दावा है कि मंदी और बढ़े हुए बिजली बिल का बोझ उठाना अब संभव नहीं है।
400 करोड़ का भुगतान अटका
मिली जानकारी के अनुसार, उद्योग मालिकों ने अक्टूबर महीने में 16 तारीख को होने वाला बिजली बिल भुगतान नहीं किया। संघ का कहना है कि भुगतान न करने के पीछे आंदोलन नहीं, बल्कि उद्योगों की खराब आर्थिक स्थिति मुख्य कारण है।
छोटे और बड़े उद्योगों की स्थिति:
- छोटे उद्योगों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है।
- बड़े उद्योग भी इस समस्या से अछूते नहीं हैं।
- कई उद्योग मालिक अब लोड सरेंडर की योजना बना रहे हैं, जबकि कुछ न्यूनतम लोड में काम करने की तैयारी कर रहे हैं।
अधिकारियों से मुलाकात की तैयारी
छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बताया कि संघ के प्रतिनिधि आज अधिकारियों से मिलकर बिजली दरों को कम करने और उद्योगों को राहत देने की मांग करेंगे।
बिजली दरों का असर
बिजली दरों में वृद्धि ने उद्योगों की उत्पादन लागत को बढ़ा दिया है, जिससे वे बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं।
- संघ का कहना है कि बिजली दरों में कमी के बिना उद्योगों को चलाना मुश्किल हो गया है।
- यदि स्थिति नहीं सुधरी, तो और भी उद्योग बंद होने की संभावना है।
उद्योग संघ की मांग
- बढ़ी हुई बिजली दरों को कम किया जाए।
- बंद पड़े उद्योगों को पुनः चालू करने के लिए विशेष आर्थिक राहत दी जाए।
- विद्युत विभाग उद्योगों के लिए विशेष दर योजना पर विचार करे।