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छत्तीसगढ़ में बैंगनी आलू से किसानों की होगी बंपर कमाई

शिमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (ICAR) द्वारा विकसित बैंगनी आलू की ‘कुफरी जमुनिया’ किस्म छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए समृद्धि का नया जरिया बनने जा रही है। इस किस्म को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार सहित कई राज्यों के लिए अनुशंसित किया गया है, जिससे किसानों को इसके बीच आसानी से उपलब्ध होंगे। रायपुर, दुर्ग, सरगुजा, जशपुर और मेनपाट जैसे क्षेत्रों में यह किस्म आलू की खेती के लिए अनुकूल मानी जा रही है।

बैंगनी आलू की पैदावार और विशेषताएं

‘कुफरी जमुनिया’ का रंग गहरा बैंगनी होता है और इसका आकार आयताकार होता है। यह 90-100 दिनों में तैयार हो जाता है और एक हेक्टेयर में 32-35 टन तक की पैदावार देता है। स्वादिष्ट और सरल भंडारण के साथ, यह बाजार में अच्छी कीमत प्राप्त करने वाला है, और इसकी मांग इसके एंटीऑक्सीडेंट्स और औषधीय गुणों के कारण बढ़ रही है।

बैंगनी आलू के स्वास्थ्य लाभ

  1. कैंसर से सुरक्षा: इसमें फेनोलिक एसिड और अन्य तत्व होते हैं, जो विशेष रूप से कोलन कैंसर से बचाव में सहायक हैं।
  2. ब्लड प्रेशर नियंत्रण: उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए बैंगनी आलू के तत्व रक्तचाप को नियंत्रित करने में मददगार हो सकते हैं।
  3. सूजन में कमी: इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स की उच्च मात्रा सूजन को कम करने में सहायक होती है, खासकर सर्दियों में।
  4. डार्क सर्कल में कमी: आंखों के नीचे के काले घेरे कम करने में भी यह मददगार है। इसे काटकर 15 मिनट के लिए आंखों पर रखने से ठंडक मिलती है और डार्क सर्कल में कमी आती है।

इस प्रकार, ‘कुफरी जमुनिया’ न केवल किसानों के लिए एक लाभकारी फसल है, बल्कि इसके औषधीय गुणों के कारण इसे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माना जा रहा है।

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