रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हुआ और पहले दिन ही सदन में धान खरीदी के मुद्दे पर हंगामेदार दृश्य देखने को मिले। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा और स्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिस पर सदन में ग्राह्यता पर चर्चा हुई।
पूर्व मुख्यमंत्री का हमला
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्थगन प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि उनकी सरकार ने सोसाइटियों की संख्या बढ़ाई थी ताकि किसानों को दूर न जाना पड़े। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने इस व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा, “केंद्रों में धान पड़ा है, सुखत की समस्या होगी। मिलर नुकसान में हैं और एसोसिएशन के अध्यक्ष कह रहे हैं कि कांग्रेस की सरकार बेहतर थी। हम किसान और मिलर की आवाज उठाएंगे।”
नेता प्रतिपक्ष का सरकार पर प्रहार
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि धान खरीदी केंद्रों में कुव्यवस्था के कारण किसान, मिलर और हमाल परेशान हैं। उन्होंने कहा, “केंद्र 21 क्विंटल धान 3100 रुपये में नहीं खरीद रहा है। मोदी की गारंटी पूरी नहीं हो रही। सरकार की नीयत धान खरीदी को लेकर ठीक नहीं है।”
सरकार का जवाब
विपक्ष के आरोपों पर वन मंत्री केदार कश्यप ने जवाब देते हुए कहा कि धान खरीदी की व्यवस्था समुचित है। उन्होंने बताया कि अब तक 10,400 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया जा चुका है और 4.73 लाख टन धान का उठाव हो चुका है। उन्होंने बारदाने की कमी को खारिज करते हुए कहा कि सभी बारदाने निर्धारित मापदंड के अनुरूप हैं।
विपक्ष का प्रस्ताव खारिज
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद विपक्ष ने सदन में नारेबाजी की। अंततः सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।