गरियाबंद। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन (CGMSC) एक बार फिर बिना मांग के लाखों की दवाइयों की आपूर्ति को लेकर सवालों के घेरे में है। जनपद सदस्य माखन कश्यप ने गरियाबंद जिले के उरमाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण कर एक संभावित घोटाले का खुलासा किया है। कश्यप ने इसे CGMSC के 550 करोड़ के चर्चित घोटाले का ‘पार्ट 2’ बताया है।
क्या है पूरा मामला?
जनपद सदस्य कश्यप और पंचायत प्रतिनिधियों ने जब उरमाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया तो आयुर्वेदिक अस्पताल के बरामदे में 50 से ज्यादा बंद और 20 से अधिक खुले कार्टन में दवाओं का अंबार मिला।
इन दवाओं में आई फ्लू, पीलिया सहित अन्य बीमारियों की दवाएं, सिरप, केनुला और ग्लव्स भारी मात्रा में पड़ी थीं – जिनकी जरूरत उस केंद्र को नहीं थी।
माखन कश्यप ने वीडियो बनाकर अधिकारियों को भेजा और इसे सोशल मीडिया पर भी वायरल कर दिया।
अस्पताल प्रबंधन का बचाव, पर सच्चाई चौकाने वाली
प्रभारी चिकित्सक सनत कुंभकार ने सफाई दी कि नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (NQAS) के मूल्यांकन की तैयारी के तहत दवाएं मंगाई गई थीं और स्थान के अभाव में इन्हें आयुर्वेद अस्पताल में सहमति लेकर रखा गया था।
हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि बारिश में कुछ दवाएं भीग गईं।
आरोप: “साल भर में भी खत्म न हों इतनी दवाएं”
जनपद सदस्य का आरोप है कि यह सोची-समझी योजना के तहत किया गया स्टॉक क्लियरेंस घोटाला है, ताकि वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले दवाओं को खपाया जा सके।
उनका कहना है कि जिले के अनेक स्वास्थ्य केंद्रों में करोड़ों की दवाएं भेज दी गई हैं, जो सालभर बाद भी खत्म नहीं होंगी।
उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में ब्लॉक से लेकर जिला स्तर तक अधिकारियों की मिलीभगत है।
कलेक्टर सख्त, जांच के आदेश
जैसे ही मामला सामने आया, कलेक्टर भगवान सिंह उईके ने गंभीरता दिखाते हुए देवभोग SDM तुलसी दास की अध्यक्षता में जांच समिति बना दी। टीम ने मौके पर जाकर जांच शुरू कर दी है।
कलेक्टर ने एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।