जगदलपुर। इंद्रावती नदी पर पुराने पुल के पास नए हाई लेवल पुल का निर्माण एक महत्वपूर्ण परियोजना है, लेकिन इसके चलते 19 परिवारों को उनके घरों से बेदखल करने की प्रशासन की तैयारी सवालों के घेरे में है। इनमें से तीन घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए हैं, जिसे अब प्रशासन अवैध घोषित कर रहा है।
सरकार के ही आवास अब अवैध?
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए तीन मकानों को तोड़ने की तैयारी प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यदि ये घर अवैध थे, तो इन्हें बनने की अनुमति कैसे दी गई? प्रभावित परिवारों का कहना है कि प्रशासन ने बिना ठोस पुनर्वास योजना या मुआवजे की व्यवस्था किए, अचानक उन्हें बेघर करने का निर्णय लिया है।
परिवारों की मांग: मुआवजा और पुनर्वास
प्रवीण वार्ड के निवासियों ने घर तोड़ने का विरोध किया और प्रशासन से जमीन के बदले जमीन और उचित मुआवजा देने की मांग की। प्रशासन ने परिवारों को केवल दो दिनों की मोहलत दी है। इससे प्रभावित परिवारों में आक्रोश और निराशा व्याप्त है।
तहसीलदार रूपेश मरकाम ने बताया कि पुल निर्माण के लिए अवैध कब्जों को हटाना आवश्यक है। इससे पहले भी नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन कब्जा नहीं हटाया गया। अब 2 दिनों के भीतर कार्रवाई की जाएगी। प्रभावितों द्वारा पीएम आवास योजना के घरों को लेकर उठाए गए सवालों पर उन्होंने कहा कि अधिकारियों के माध्यम से आवेदन प्राप्त कर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
प्रभावित परिवार न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस पुनर्वास योजना नहीं पेश की गई है। देखना होगा कि दो दिन बाद प्रशासन और प्रभावित परिवारों के बीच इस मुद्दे का समाधान कैसे निकलता है।