छत्तीसगढ़ में गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। सुबह के समय ही तेज धूप लोगों को परेशान कर रही है। मई महीने में सुबह 9 बजे ही पारा 37 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। 11 बजे तक तापमान 40.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 15-20 सालों में सुबह 11 बजे जो तापमान होता था, वह अब सुबह 9 बजे ही होने लगा है। इसका मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग ने मौसम के पैटर्न को बदल दिया है। हमारी रोजमर्रा की आदतें, पराली जलाना, दुनिया में चल रहे युद्ध, वाहन, एयर कंडीशन, ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ना और प्री मानसून एक्टिविटी का कम होना ग्लोबल वार्मिंग के कारण हैं। ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ने से चरम मौसमी परिस्थितियां पूरी दुनिया में बढ़ रही हैं। पिछले सालों में हुई अत्यधिक बारिश या अभी भीषण गर्मी यह सब इसके ही परिणाम हैं।
छत्तीसगढ़ में बीते 3-4 दिनों से पारा 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। वहीं सुबह 9 बजे से ही तापमान 38 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है। सुबह के समय लोगों को बाहर निकलकर काम निपटाने होते हैं, लेकिन 9 बजे से ही गर्मी के चलते लोगों को राहत की सुबह नहीं मिल पा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिति में हमें सभी को मिलकर बड़ी संख्या में पौधरोपण करना होगा और उनकी देखभाल करनी होगी। इसके अलावा कम दूरी में जाने के लिए साइकिल से या पैदल आना-जाना शुरू करना होगा। फ्यूल कम जलने से कार्बन उत्सर्जन कम होगा। एयर कंडीशनर के उपयोग को कम करना होगा। घरों के बाहर एक पौधे को बड़ा पेड़ लगाना होगा। ऐसा करने पर घर के अंदर और सड़क पर तापमान में कमी आएगी। संभव हो तो बिजली के लिए सोलर ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ानी होगी। सोलर से बनने वाली बिजली से भी कार्बन उत्सर्जन में कमी होगी।