GGU में फोरेंसिक साइंस भर्ती विवाद हाईकोर्ट पहुंचा, 22 मई के विज्ञापन पर रोक

बिलासपुर. गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (GGU) में सहायक प्राध्यापक (फोरेंसिक साइंस) पद की भर्ती का मामला अब न्यायालय तक पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय द्वारा 22 मई 2025 को जारी नए विज्ञापन पर रोक लगाते हुए रजिस्ट्रार और एग्जीक्यूटिव काउंसिल को नोटिस जारी किया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच में हुई।

दरअसल, विश्वविद्यालय ने वर्ष 2019 में फोरेंसिक साइंस के सहायक प्राध्यापक पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस पर दुर्ग निवासी आवेदक आई. अर्जुन राव और मौमिता सिंहा समेत कई उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। दस्तावेज़ परीक्षण और चयन सूची में अर्जुन राव का नाम 8वें तथा मौमिता सिंहा का नाम 17वें स्थान पर शामिल हुआ।

इसी बीच, साक्षात्कार प्रक्रिया के दौरान एक अभ्यर्थी सुषमा उपाध्याय ने खुद को अपात्र मानते हुए हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। उस समय अदालत ने विश्वविद्यालय को साक्षात्कार का परिणाम जारी करने से रोक दिया था। हालांकि, अंतिम सुनवाई में अदालत ने सुषमा उपाध्याय की याचिका खारिज कर दी, लेकिन इसके बाद भी विश्वविद्यालय ने चयन सूची सार्वजनिक नहीं की।

बाद में एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने यह कहते हुए 2019 के विज्ञापन को निरस्त कर दिया कि इसे जारी हुए छह साल हो चुके हैं और चयन सूची की वैधता केवल एक वर्ष तक रहती है। इसी आधार पर परिषद ने नए सिरे से विज्ञापन जारी करने का फैसला लिया और 22 मई 2025 को आवेदन आमंत्रित कर दिए।

इसी निर्णय के खिलाफ आई. अर्जुन राव और मौमिता सिंहा ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने 22 मई 2025 को जारी नए विज्ञापन पर अंतरिम रोक लगाई और विश्वविद्यालय प्रशासन से विस्तृत जवाब तलब किया है।

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