दस साल का इंतजार खत्म! छत्तीसगढ़ में अब 2813 लेक्चरर बनेंगे प्राचार्य

रायपुर। छत्तीसगढ़ में वर्षों से प्राचार्य पद की प्रतीक्षा कर रहे 2813 व्याख्याताओं के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्राचार्य पदोन्नति के खिलाफ दायर की गई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अब प्राचार्य बनने की राह से कानूनी बाधा हट गई है और शिक्षा विभाग द्वारा जल्द ही पदस्थापना आदेश जारी किए जाएंगे।

कोर्ट के फैसले से हटी बाधा

शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल 2025 को प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी की थी, जिसे 1 मई को हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया था। इसके बाद 9 जून से 17 जून के बीच लगातार सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने अपने पक्ष में तर्क और दस्तावेज प्रस्तुत किए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रखा और अब सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इससे अब पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक समाप्त हो गई है।

पदोन्नति से हजारों शिक्षकों को मिलेगा लाभ

छत्तीसगढ़ प्राचार्य पदोन्नति फोरम के अनिल शुक्ला और राकेश शर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्णय के बाद स्कूल शिक्षा विभाग बहुत जल्द 2813 प्राचार्यों की पदस्थापना का आदेश जारी करेगा। स्कूल शिक्षा विभाग में प्राचार्य के कुल 4690 स्वीकृत पद हैं, जिनमें वर्तमान में केवल 1430 प्राचार्य कार्यरत हैं। बाकी 3224 पद कई वर्षों से रिक्त हैं।

एक दशक से नहीं हुई थी पदोन्नति

स्कूल शिक्षा विभाग में वर्ष 2016 और आदिम जाति कल्याण विभाग (जो अब स्कूल शिक्षा विभाग में विलय हो चुका है) में वर्ष 2013 में अंतिम बार प्राचार्य की पदोन्नति हुई थी। इसके बाद लगातार दस वर्षों तक पदोन्नति प्रक्रिया ठप रही, जिससे शिक्षकों में असंतोष व्याप्त था।

पदोन्नति के लिए किया गया था आंदोलन

वर्षों से अटकी पड़ी पदोन्नति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए चार संगठनों ने मिलकर छत्तीसगढ़ प्राचार्य पदोन्नति फोरम का गठन किया था। इस फोरम के नेतृत्व में 17 दिसंबर 2024 को इंद्रावती और महानदी भवन के सामने हजारों शिक्षकों ने प्रदर्शन कर सरकार पर दबाव बनाया।

फोरम के प्रमुख सदस्य अनिल शुक्ला, राकेश शर्मा, आर. के. झा, श्याम कुमार वर्मा और मलखम वर्मा ने कोर्ट के फैसले को “सत्य की जीत” बताया और इसे लंबे संघर्ष की सफलता करार दिया।

सेवानिवृत्त शिक्षकों को भी मिले लाभ की मांग

फोरम ने मांग की है कि जिन व्याख्याताओं का नाम 30 अप्रैल को जारी पदोन्नति आदेश में शामिल था और वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उन्हें भी पदोन्नति का लाभ मिलना चाहिए ताकि वर्षों की उनकी मेहनत और प्रतीक्षा का सम्मान हो सके।

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