जगदलपुर। बस्तर के घने जंगलों और पहाड़ियों में माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियान को सुरक्षाबलों ने एक और बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ाया है। शुक्रवार सुबह नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमावर्ती पहाड़ियों में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 6 माओवादियों को मार गिराया, जिनके शव घटनास्थल से बरामद कर लिए गए हैं। पुलिस का दावा है कि कई अन्य माओवादी भी मारे गए या घायल हुए हैं।
रायपुर में रणनीतिक बैठक
इधर, राजधानी रायपुर के मेफ़ेयर होटल में केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक चल रही है। इस बैठक में हालिया अभियानों की समीक्षा की जा रही है और आने वाले महीनों के लिए रणनीति तय की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार का फोकस माओवादी प्रभावित इलाकों को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह मुक्त कराने पर है।
माओवादियों पर लगातार दबाव
बस्तर में इस साल से सुरक्षाबलों ने नक्सलियों पर लगातार दबाव बनाए रखा है।
- अप्रैल–मई 2024 में चले ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट में 31 माओवादी मारे गए थे।
- जुलाई में अबूझमाड़ की पहाड़ियों में हुई मुठभेड़ में 6 नक्सली ढेर हुए, जिनमें एक डिविजनल कमेटी सदस्य भी शामिल था।
- इसी वर्ष मई में संगठन को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब शीर्ष कमांडर और महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू सुरक्षाबलों की कार्रवाई में मारा गया।
- इसके बाद जून में केंद्रीय समिति का वरिष्ठ नेता और विचारधारा प्रमुख सुधाकर उर्फ नरसिम्हा चालन भी ढेर हो गया।
इन लगातार सफलताओं के चलते माओवादियों की कमर टूट चुकी है और उनकी पकड़ कमजोर पड़ रही है।
अब तक का आंकड़ा
दिसंबर 2023 से अब तक छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने—
- 453 माओवादियों को मार गिराया
- 1,616 को गिरफ्तार किया
- 1,666 को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया
इन अभियानों से माओवादियों का प्रभाव क्षेत्र तेजी से सिमट रहा है।
निर्णायक दौर में अभियान
विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार मिल रही इन सफलताओं और बड़े नेताओं के खात्मे ने माओवादी संगठन को अब तक का सबसे बड़ा झटका दिया है। सुरक्षा एजेंसियां मान रही हैं कि यह अभियान अब निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है। सरकार और सुरक्षा बलों का लक्ष्य है कि 2026 तक बस्तर को पूरी तरह माओवादी प्रभाव से मुक्त कर दिया जाए।