Mahakaleshwar Mandir : रविवार को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में देश का पहला होलिका दहन हुआ। इस पावन अवसर पर हजारों भक्तों ने होलिका की परिक्रमा लगाकर परंपरा निभाई और होलिका दहन किया।
महाकाल का विशेष श्रृंगार:
होलिका दहन से पहले बाबा महाकाल का विशेष रूप से श्रृंगार किया गया। सांध्य आरती में फूल और गुलाल की होली मनाई गई। इस आरती के समापन के बाद मंदिर परिसर में होलिका दहन हुआ।
होलिका दहन का महत्व:
महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन को लेकर किसी प्रकार का मुहूर्त नहीं देखा जाता है। यहां पर निर्धारित समय पर होलिका दहन किया जाता है। पंडित और पुरोहित परिवार की ओर से महाकाल के आंगन में विशेष पूजा अर्चना की गई, जिसके बाद होलिका का दहन किया गया।
गुलाल आरती और रंगों का उत्सव:
होलिका दहन के बाद भगवान महाकाल को गुलाल उड़ाने के लिए शिवभक्त पहुंचे। भक्तों ने रंगों में सराबोर होकर होली का उत्सव मनाया।
भस्मारती में भी रंगों का उल्लास:
महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन के बाद अगले दिन होने वाली भस्मारती में भी रंग और गुलाल उड़ाया जाता है। भगवान महाकाल के रंग में रंगने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। इस दौरान भगवान महाकाल का श्रृंगार भी अद्भुत होता है। भगवान को विशेष रूप से चंदन और गुलाल से सजाया जाता है।
यह महाकालेश्वर मंदिर और उज्जैन शहर के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है। भक्तों की भारी संख्या और उत्साह इस पर्व के महत्व को दर्शाता है।