गरियाबंद। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण में एक अनोखा परिणाम सामने आया, जिसने सभी को हैरान कर दिया। गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लॉक में रहने वाले हलमंत ध्रुवा और उनकी पत्नी ललिता ध्रुवा दो अलग-अलग पंचायतों के सरपंच बन गए हैं। हलमंत ध्रुवा ग्राम पंचायत मुड़ागांव के सरपंच चुने गए, जबकि उनकी पत्नी ललिता ध्रुवा पड़ोसी ग्राम पंचायत दाबरीगुड़ा की सरपंच बनीं।
पति-पत्नी का अनोखा चुनावी सफर
हलमंत ध्रुवा मूल रूप से मुड़ागांव के निवासी हैं और वहीं उनकी जमीन-जायदाद है। दूसरी ओर, उनकी पत्नी ललिता ध्रुवा का मायका पास के दाबरीगुड़ा गांव में है, जहां वह पिछले 25 वर्षों से अपने पति के साथ रह रही हैं। पंचायत राजनीति में हलमंत ध्रुवा की गहरी पकड़ रही है और उन्होंने दोनों पंचायतों में अपने प्रभाव को बनाए रखा, जिसका परिणाम यह ऐतिहासिक जीत बनी।
चुनाव आयोग को नहीं दिखी कोई गड़बड़ी
पति-पत्नी की अलग-अलग पंचायतों में नागरिकता को लेकर न तो ग्रामीणों को कोई आपत्ति हुई और न ही निर्वाचन आयोग को इसमें कोई खामी नजर आई। इस वजह से दोनों ने बिना किसी रुकावट के चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यह देश का संभवतः पहला ऐसा मामला है, जहां एक साथ रहने वाले पति-पत्नी को अलग-अलग पंचायतों की जनता ने अपना प्रतिनिधि चुना है।
पहली पत्नी भी दो बार रह चुकी थीं सरपंच
गौरतलब है कि हलमंत ध्रुवा की पहली पत्नी सुशीला देवी भी पंचायत राजनीति में सक्रिय थीं। वह मुड़ागांव पंचायत की दो बार सरपंच रह चुकी थीं और एक बार जिला पंचायत सदस्य भी चुनी गई थीं। इसके अलावा, वह लघु वनोपज संस्था की निर्वाचित सदस्य भी थीं और राष्ट्रीय समिति में भी काम कर चुकी थीं। बीमारी के कारण चार महीने पहले उनका निधन हो गया था।
हलमंत और ललिता ध्रुवा की इस अनोखी जीत ने पंचायत चुनावों में एक नई मिसाल कायम कर दी है।