आरंग। छत्तीसगढ़ के आरंग क्षेत्र में खनिज संपदा का अपार भंडार है, जिसमें रेत, मुरूम और चूना पत्थर जैसी उपयोगी खदानें शामिल हैं। लेकिन इन खनिज संसाधनों का अनियंत्रित और अवैध दोहन अब पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन गया है। विशेष रूप से ग्राम पंचायत निसदा में पिछले दो साल से बिना पर्यावरण स्वीकृति के 15 चूना पत्थर खदानों का संचालन जारी है। ग्रामीणों ने इस अवैध खनन की शिकायत रायपुर कलेक्टर और खनिज विभाग सहित कई अधिकारियों से की थी, लेकिन खनिज विभाग द्वारा केवल जुर्माना लगाकर औपचारिक कार्रवाई की गई।
महानदी के तट पर जमा हो रहा खदान का मलबा
निसदा गांव में महानदी पर बने बैराज से महासमुंद और रायपुर जिलों में जल आपूर्ति होती है। ग्रामीणों का कहना है कि चूना पत्थर खदानों का मलबा महानदी के तट पर जमा किया जा रहा है, जिससे नदी की चौड़ाई लगातार कम हो रही है। पहले बैराज के सभी गेट स्पष्ट रूप से दिखते थे, लेकिन अब केवल एक तरफ का गेट ही दिखाई देता है। ग्रामीणों को आशंका है कि यदि स्थिति पर ध्यान नहीं दिया गया तो बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।
पेड़ों की कटाई और चारागाह की कमी से बढ़ा संकट
ग्रामीणों का आरोप है कि स्वीकृत क्षेत्र से पांच गुना अधिक जमीन पर अवैध खुदाई की जा रही है, जिससे अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हुई है। जानवरों के लिए चारागाह की जमीन भी समाप्त हो रही है, जिससे भविष्य में और अधिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
अधिकारियों की उदासीनता से ग्रामीण नाराज
पर्यावरण प्रेमी ओमप्रकाश सेन के अनुसार, ग्रामीणों ने रायपुर संभाग आयुक्त, कलेक्टर और खनिज विभाग के निदेशक सहित अन्य अधिकारियों को शिकायतें दी हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। खनन उप संचालक किशोर कुमार गोलघाटे और खनिज निरीक्षक रघुनाथ भारद्वाज ने भी इस मुद्दे पर कोई जवाब नहीं दिया।