कुकुर देव मंदिर : ऐसा अनोखा मंदिर जहां की जाती है कुत्ते की पूजा

बालोद जिले में स्थित कुकुर देव मंदिर, वफादारी और चमत्कारों का प्रतीक है। यह मंदिर खपरी मलिघोरी गांव में स्थित है, जो बालोद जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर है।

मंदिर का इतिहास:

पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह मंदिर 13वीं-14वीं शताब्दी में फणी नागवंशी राजाओं द्वारा बनवाया गया था। मंदिर के स्थान पर एक वफादार कुत्ते की समाधि है, जिसे कुकुर देव के नाम से जाना जाता है।

कुकुर देव की कहानी

कहा जाता है कि एक बंजारा ने साहूकार से कर्ज लिया था। अकाल के कारण बंजारा कर्ज नहीं चुका पाया। साहूकार ने कर्ज वसूलने के लिए बंजारे का वफादार कुत्ता ले लिया। कुछ दिनों बाद, साहूकार के घर चोरी हो गई। चोर द्वारा चुराए गए सामान को तालाब के पास छुपाते समय कुत्ते ने उसे देख लिया। अगली सुबह, कुत्ते ने साहूकार को चोरी के सामान के स्थान पर ले जाकर सामान ढूंढने में मदद की।

साहूकार कुत्ते की वफादारी से बहुत प्रभावित हुआ और उसने बंजारे को चिट्ठी लिखकर कुत्ता वापस भेज दिया। बंजारा कुत्ते को वापस देखकर गुस्सा गया और उसने कुत्ते को मार डाला। जब बंजारे ने चिट्ठी पढ़ी, तो उसे पश्चाताप हुआ और उसने कुत्ते की समाधि बनवाई।

You May Also Like

More From Author