जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर, खोखो तालाब में होगा नौका विहार

भगवान जगन्नाथ का नाम आते ही सबके मन में ओडिशा के पुरी धाम का नाम आता है। भगवान जगन्नाथ प्रभु के भक्त सिर्फ ओडिशा में ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ समेत पूरी दुनिया में हैं। छत्तीसगढ़ में जगन्नाथ प्रभु की रथयात्रा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. दरअसल, जगन्नाथ रथ यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया से शुरू होती है। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ की वापसी के साथ समाप्त होती है। रथ यात्रा शुरू होने से पहले ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा से शुरू होकर मंदिरों में कुछ परंपराएं निभाई जाती हैं।

भगवान जगन्‍नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम भगवान जगन्‍नाथ के मंदिर में स्नान करते हैं। स्नान के बाद, तीनों देवता पारंपरिक रूप से बीमार हो जाते हैं और राज वैद्य की देखरेख में ठीक होने के लिए अलग-थलग हो जाते हैं। इस दौरान उनकी देखभाल की जाती है और मंदिर के दरवाजे भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, भगवान जगन्नाथ अपने भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ साल में एक बार रथ पर सवार होकर उन्हें मथुरा दिखाने अपने जन्मस्थान मथुरा जाते थे।

जगन्नाथ मंदिर के पुजारी अरविंद अवस्थी ने बताया आगमी रविवार 19 मई को भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को मंदिर से बाहर ले जाया जाएगा. इस दौरान भगवान को खोखो तालाब में शाम 4:30 बजे से 6 बजे तक नौका बिहार कराया जाएगा. इस अवसर पर नाव को फूलों से सजाया जाएगा. तालाब का फेरा लगाया जाएगा. पारंपरा के अनुसार भगवान को लगातार एक माह तक स्नान कराया जाता है, जिसके बाद भगवान जगन्नाथ की तबीयत खराब हो जाती है.

22 जून को 108 बार भगवान श्री जगन्नाथ की प्रतिमा को स्नान कराया जाएगा. जिसके पश्चात 23 जून से लेकर 5 जुलाई तक मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे. मंदिर के कपाट 6 जुलाई को खोले जाएंगे, जिसके बाद भगवान को भीगा हुआ हरा मूंग का पहला भोग लगाया जाएगा. इस दौरान भगवान को लगातार 9 दिनों तक खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. साथ ही अरसा गुड़ चिला का भोग लगाया जाता है.

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