रायपुर। राजनीति में हड़बड़ी कभी-कभी भारी पड़ जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश के साथ, जिन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर छत्तीसगढ़ में हुए डीएमएफ घोटाले से जुड़ी एक पुरानी खबर को री-पोस्ट कर भाजपा पर निशाना साध दिया — लेकिन ये घोटाला कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का था।
दरअसल, जयराम रमेश ने जिस खबर को साझा किया, वह दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट थी, जिसे स्वतंत्र पत्रकार दयाशंकर मिश्रा ने एक्स पर पोस्ट किया था। इस पोस्ट में छत्तीसगढ़ में व्यवस्थित भ्रष्टाचार और कलेक्टर द्वारा रिश्वत लेने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। मिश्रा ने कटाक्ष भरे अंदाज में लिखा कि “आदिवासियों के विकास की कहानी इसी तरह लिखी जा रही है और सरकार भ्रष्टाचार से बेखबर है।”
दयाशंकर मिश्रा को राहुल गांधी की जीवनी लिखने वाले लेखक के रूप में भी जाना जाता है, संभवतः इसी कारण जयराम रमेश ने बिना सत्यापन के पोस्ट को री-पोस्ट कर दिया। लेकिन हकीकत यह है कि जिस डीएमएफ घोटाले की बात हो रही है, वह कांग्रेस सरकार के समय का है — और इसमें जांच एजेंसियों द्वारा पूर्व आईएएस अधिकारी रानू साहू समेत कई अधिकारियों के खिलाफ गंभीर अनियमितताओं और कमीशनखोरी के आरोप लगाए गए हैं।
क्या है डीएमएफ घोटाला?
ईडी की जांच रिपोर्ट के आधार पर EOW ने इस मामले में धारा 120बी और 420 के तहत केस दर्ज किया है।
जांच में पाया गया कि कोरबा जिले के डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड (DMF) से जुड़ी परियोजनाओं में टेंडर आवंटन में भारी घोटाला हुआ। टेंडर भरने वालों से 15-40% तक का कमीशन लिया गया और अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर निजी लाभ उठाया।
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, यह घोटाला संगठित तरीके से हुआ और इसमें उच्च स्तर के प्रशासनिक अफसरों की भूमिका रही।
सोशल मीडिया पर हुई किरकिरी
जयराम रमेश की इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। कई यूजर्स ने उन्हें तथ्यों की पुष्टि किए बिना आरोप लगाने के लिए घेरा। भाजपा समर्थकों ने इसे कांग्रेस की राजनीतिक चूक बताते हुए ट्रोल भी किया।