जशपुर जिले की पहचान बन चुकी जशपुरिया शाही लीची का स्वाद न सिर्फ स्थानीय लोगों को बल्कि दूसरे प्रदेशों के व्यापारियों को भी लुभाता है। इस साल अच्छे उत्पादन से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं, जो लीची बेचकर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
जशपुर में लीची की बड़े पैमाने पर खेती होती है। इस साल अच्छी पैदावार ने किसानों को खुशी दी है। जशपुर की रसीली लीची का स्वाद और अलग पहचान इसे खास बनाती है।
जशपुर के इन क्षेत्रों में होती है लीची की खेती:
- कुनकुरी
- बगीचा
- सन्ना
- मनोरा
- फरसाबहार
- कांसाबेल
- पत्थलगांव
दो किस्में, एक ही स्वाद:
जशपुर में दो प्रकार की लीची उगाई जाती है:
- जशपुरिया शाही लीची: यह स्वादिष्ट और रसीली होती है, जिसके लिए जिले को जाना जाता है।
- चाइनीज लीची: यह जशपुरिया शाही से थोड़ी छोटी और कम मीठी होती है।
बढ़ती मांग और मुनाफे का सौदा:
जशपुर की लीची की मांग प्रदेश के बड़े शहरों जैसे रायपुर और बिलासपुर के साथ-साथ ओडिशा और झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में भी है।
सुरेशपुर के किसान धरनीधर सिदार ने बताया कि उन्होंने अपने बगीचे में 125 लीची के पेड़ लगाए हैं। इस साल बंपर पैदावार ने उन्हें अच्छा मुनाफा दिया है। बढ़ती मांग को देखते हुए, वे भविष्य में और पेड़ लगाने की योजना बना रहे हैं।
