धमतरी के कुछ युवाओं ने जीव दया नामक एक संस्था बनाकर बेसहारा जानवरों की मदद करने का बीड़ा उठाया है। यह संस्था 1 रुपये में रोटी बेचती है, जिसे लोग खरीदकर गाय या कुत्तों को खिलाते हैं। रोजाना सुबह 4 बजे से रसोई में काम शुरू हो जाता है और 50 किलो आटे से 5000 रोटियां बनती हैं। सुबह 10 बजे तक सारी रोटियां बिक जाती हैं।
भीषण गर्मी में जहां इंसान का घर से निकलना भी दूभर है, वहीं सड़कों पर रहने वाले जानवरों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इन बेजुबानों की भूख मिटाने के लिए धमतरी के इन युवाओं ने एक अनोखी पहल शुरू की है। वे सिर्फ एक रुपये में रोटियां बेचकर जानवरों को पेट भर खाना खिला रहे हैं।

सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों में से एक है वसुधैव कुटुम्बकम। इसका अर्थ है कि पूरी दुनिया हमारा परिवार है। जीव दया संस्था इसी सिद्धांत पर आधारित है। इसमें शामिल युवा सड़कों पर रहने वाले गायों, कुत्तों और अन्य जानवरों को भोजन करवाते हैं।
रोजाना सुबह 4 बजे से रसोई में काम शुरू हो जाता है। 50 किलो आटे से 5000 रोटियां बनाई जाती हैं। सुबह 10 बजे तक सारी रोटियां बिक जाती हैं। शहर के लोग रोजाना रोटियां खरीदकर जानवरों को खिलाते हैं। जिनका जन्मदिन या मरीज की वर्षगांठ होती है, वे लोग ज्यादा संख्या में रोटियां खरीदकर गायों को खिलाते हैं।
आम तौर पर सड़कों पर रहने वाले जानवरों को कूड़े-कचरे में पड़ी चीजों को खाकर पेट भरना पड़ता है। लेकिन जीव दया संस्था के कारण उन्हें ताज़ी रोटियां मिल जाती हैं और उनकी भूख मिट जाती है।
संस्था से जुड़े युवाओं का मानना है कि जीव सेवा ही ईश्वर की सेवा है। इस काम को करके उन्हें आत्मिक सुकून मिलता है।