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वन आधारित आजीविका से जनजातीय समाज की आय में वृद्धि: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर, 28 मार्च 2025 – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार वन आधारित आजीविका को मजबूत कर जनजातीय समाज की आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। “जनजातीय समुदायों के लिए वन आधारित जीविकोपार्जन के अवसर” विषय पर आयोजित कार्यशाला में उन्होंने नीति आयोग और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साझा प्रयासों की सराहना की।

वनोपज से समृद्धि पर नीति आयोग और सरकार की पहल

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ का 44% भूभाग वनाच्छादित है और राज्य की 32% आबादी जनजातीय समुदायों की है। ऐसे में वनों और जनजातियों का सहअस्तित्व उनकी आर्थिक उन्नति का आधार बन सकता है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में 67 प्रकार के लघु वनोपजों का संग्रहण, प्रसंस्करण और विक्रय महिला स्वसहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे हजारों परिवारों को रोजगार मिल रहा है।

अटल जी की दृष्टि से लेकर वर्तमान सरकार की योजनाएं

मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने आदिवासियों की पीड़ा को समझते हुए छत्तीसगढ़ को एक अलग राज्य के रूप में स्थापित किया। उनके प्रयासों से आदिवासियों के कल्याण के लिए पृथक मंत्रालय का गठन हुआ, जिससे केंद्र सरकार की योजनाओं का सही क्रियान्वयन संभव हुआ।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा शुरू किए गए पीडीएस सिस्टम और समर्थन मूल्य पर वनोपज खरीदी का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं ने आदिवासी समाज को आर्थिक रूप से सशक्त किया है।

प्रधानमंत्री मोदी की प्रोत्साहक नीतियों से स्वसहायता समूहों को लाभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वनोपज से जुड़ी प्रोत्साहक नीतियों से स्वसहायता समूहों की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के लिए चलाई जा रही पीएम-जनमन योजना और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान को मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इनसे अनुसूचित जनजाति बाहुल्य गांवों को सीधा लाभ मिल रहा है।

वन संसाधनों के उचित उपयोग और रोजगार सृजन पर जोर

वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि नीति आयोग के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हुए वन संसाधनों के समुचित उपयोग और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है।

इस अवसर पर नीति आयोग के सलाहकार सुरेंद्र मेहता, प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा, वन बल प्रमुख व्ही श्रीनिवास राव सहित विभिन्न राज्यों से आए विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।

वनोपज आधारित स्टालों का अवलोकन

मुख्यमंत्री श्री साय ने अरण्य भवन परिसर में लगे वन उत्पादों के स्टालों का अवलोकन किया। इस दौरान लीफ प्लेट टेक्नोलॉजी, हैदराबाद की टीम ने उन्हें पत्तों से बना डिनर सेट भेंट किया।

भोपालपट्टनम, बीजापुर के बी. आर. राव, जो वनौषधीय पौधों के बीजों के संरक्षण और ‘गमलों से जंगल की ओर’ अभियान चला रहे हैं, को मुख्यमंत्री ने बधाई दी।

बलौदाबाजार के अमरवा बांस प्रसंस्करण केंद्र के सदस्यों ने बांस शिल्प से बना गुलदस्ता भेंट किया। मुख्यमंत्री ने लाख उत्पादक किसान समिति कांकेर, छत्तीसगढ़ हर्बल और जशप्योर एफपीसी जशपुर के स्टालों का भी दौरा कर समूहों के कार्यों की सराहना की।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि नीति आयोग और वन विभाग की यह संयुक्त पहल जनजातीय समाज को तकनीक और नवाचार से जोड़कर उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने में सहायक होगी। सरकार आदिवासियों की आजिविका सुधार, आर्थिक सशक्तिकरण और वन संसाधनों के संरक्षण को प्राथमिकता दे रही है, जिससे छत्तीसगढ़ में वन आधारित अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।

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