कवर्धा। क्वांर नवरात्रि की अष्टमी को आधी रात नगर के ऐतिहासिक मां दंतेश्वरी चंडी मंदिर से खप्पर निकलेगी। मान्यता है कि खप्पर के नगर भ्रमण से सभी प्रकार की आपदाएं, बीमारियां नगर में प्रवेश नहीं कर पातीं और नगर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस परंपरा को निभाने के लिए 1000 से अधिक पुलिस जवानों की ड्यूटी लगाई गई है ताकि आयोजन सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से संपन्न हो सके।
यह परंपरा कवर्धा रियासत के राजा महिपाल द्वारा शुरू की गई थी और आज भी मां दंतेश्वरी की महिमा के रूप में इसे देखने को मिलता है। साल में केवल एक बार क्वांर नवरात्रि में खप्पर निकाली जाती है। इस अनोखी परंपरा को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, और हर साल करीब 50 हजार से अधिक लोग खप्पर यात्रा का हिस्सा बनते हैं।
जानकारों के अनुसार, दंतेश्वरी मंदिर से खप्पर निकालने की परंपरा 100 साल से भी पुरानी है। इसके अलावा, शहर के अन्य मंदिरों, जैसे कि मां चंडी मंदिर और मां परमेश्वरी मंदिर में भी खप्पर निकालने की परंपरा बीते 25 और 15 साल से शुरू हुई, जो आज भी कायम है।
मुख्य पंडा इस परंपरा का नेतृत्व करते हैं, एक हाथ में तलवार और दूसरी में जलती हुई खप्पर लेकर नगर का भ्रमण करते हैं। उनके आगे मंदिर के अन्य पंडा चलते हुए रास्ते की बाधाओं को हटाते हैं। चंडी मंदिर से निकली खप्पर को लेकर मान्यता है कि देवी की प्रतिमा पहले इतवारी पंडा की कुल देवी थीं, जिन्हें बाद में मोहल्लेवासियों ने वर्तमान स्थान पर स्थापित किया।