खैरागढ़। जिले की पंचायत घोठिया के आश्रित ग्राम खुर्सीपार में प्रस्तावित तीन नई खनन परियोजनाओं को लेकर ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। बुधवार शाम बड़ी संख्या में ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी कि अगर इन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई, तो वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।
ग्रामीणों का आरोप है कि खनन ने पहले ही उनकी खेती, जल स्रोत और हवा को बर्बाद कर दिया है। अब नई परियोजनाएं उनके बच्चों के भविष्य और सांसों को भी छीन लेंगी। उन्होंने कहा कि 23 जुलाई को हुई जनसुनवाई केवल दिखावा थी, जहां खनन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की आपत्तियों का कोई जवाब नहीं दिया और कार्यक्रम खत्म होते ही महंगी गाड़ियों में बैठकर चले गए।
ग्रामीणों ने जनसुनवाई को औपचारिकता करार देते हुए कहा कि प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं। उनका कहना है कि पहले से ही जिले में 30 से अधिक खदानें संचालित हैं, जिनका गंभीर असर पर्यावरण और लोगों की सेहत पर पड़ा है, ऐसे में प्रशासन को यह सोचना चाहिए कि वह जनता के साथ है या खनन कंपनियों के पक्ष में।
धूल और रसायनों से गंभीर बीमारियों का खतरा
ग्रामीणों ने कहा कि खदानों और क्रेशर से उठने वाली धूल और सिलिका कण शरीर में पहुंचकर सिलिकोसिस, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों की बीमारी, आंखों की जलन, त्वचा रोग, यहां तक कि कैंसर जैसी घातक बीमारियों को जन्म देते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह सिर्फ खनन का विरोध नहीं, बल्कि उनके गांव और बच्चों के भविष्य की रक्षा की लड़ाई है।
ग्रामीणों का नारा—“खनन नहीं, हमें ज़िंदगी चाहिए”—अब जिलेभर में गूंजने लगा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि विकास के नाम पर विनाश की इजाजत न दी जाए। यदि उनकी चेतावनी को नजरअंदाज किया गया, तो यह आंदोलन जिलेव्यापी विरोध में बदल सकता है।