Raipur : कांग्रेस सरकार के दौरान पावरफुल रहे बिलासपुर के केके श्रीवास्तव, जो 15 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में फरार हैं, को पुलिस ने भगोड़ा घोषित कर दिया है और उनकी गिरफ्तारी के लिए 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया है। पुलिस की जांच के अनुसार, श्रीवास्तव ने पांच बैंक खातों का उपयोग करके लगभग 300 करोड़ रुपये का लेन-देन किया है। ये खाते आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के मकानों में रहने वालों के नाम पर खोले गए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने जांच आयकर विभाग को सौंप दी है और प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी जल्द ही इस मामले की जांच शुरू कर सकती है।
पुलिस की कार्रवाई और भगोड़े की तलाश
तेलीबांधा थाना पुलिस श्रीवास्तव की तलाश में कई ठिकानों पर दबिश दे चुकी है, लेकिन वह अपने परिवार सहित फरार है। श्रीवास्तव के ठगी के मामलों में संलिप्तता के कारण उनके खिलाफ पुलिस ने कड़ा कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि श्रीवास्तव पूर्व मुख्यमंत्री के लिए विशेष पूजा-पाठ करते थे, जिसके चलते उनका सीएम निवास पर अक्सर आना-जाना होता था। इसके अलावा, श्रीवास्तव का सरकार से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण लोगों के साथ भी करीबी संपर्क था।
मामले की पृष्ठभूमि
केके श्रीवास्तव, जो पिछली सरकार में काफी प्रभावशाली थे, ने स्मार्ट सिटी परियोजना में ठेका दिलाने के नाम पर दिल्ली के कारोबारी अशोक रावत से 15 करोड़ रुपये की ठगी की थी। रावत एसोसिएट्स के मालिक अशोक रावत ने यह आरोप लगाया कि ठेका नहीं मिलने पर श्रीवास्तव ने 17 सितंबर 2023 तक रकम लौटाने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब अशोक रावत ने पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी, तो श्रीवास्तव ने तीन करोड़ 40 लाख रुपये वापस कर दिए और तीन-तीन करोड़ रुपये के तीन चेक दिए, जो बाद में बाउंस हो गए।
कोयला कारोबार में संलिप्तता
इसके अलावा, श्रीवास्तव कोरबा में राखड़ परिवहन करने वाली एक कंपनी भी चलाते थे, जो उद्योगों से निकलने वाले राख का परिवहन करती थी। कोयला घोटाले के दौरान उनकी कंपनी को भी ईडी की जांच के दायरे में लाया गया था।
इस समय पुलिस श्रीवास्तव और उनके परिवार की तलाश में जुटी हुई है, और इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आयकर विभाग और ईडी भी सक्रिय हो गए हैं।