Kotumsar Cave : कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कुटुमसर गुफा को देखने के शौकीन सैलानियों को इस साल थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। आमतौर पर यह गुफा 1 अक्टूबर को खोली जाती है, लेकिन इस बार इसे 10 अक्टूबर तक खोले जाने की संभावना है क्योंकि गुफाओं में अभी पानी भरा हुआ है।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ चूड़ामणि सिंह ने बताया कि गुफा में पानी और अन्य बाधाओं के कारण इसकी सफाई की जा रही है। बारिश के मौसम में गुफाओं में झाड़ियां उग जाती हैं, जिनकी सफाई की जा रही है ताकि सैलानियों को कोई परेशानी न हो। इसके अलावा, गुफा तक पहुंचने वाले रास्तों को भी ठीक किया जा रहा है।
कुटुमसर गुफा, जिसे 1956 में डॉ. शंकर तिवारी ने उजागर किया था, बस्तर की सबसे पसंदीदा गुफा मानी जाती है। पहले इसे मशाल से देखा जाता था, लेकिन अब गाइड सोलर लाइटों का उपयोग करते हैं।
यह गुफा भारत की सबसे गहरी गुफा मानी जाती है, जिसकी गहराई 60 से 120 फीट और कुल लंबाई लगभग 4500 फीट है। इसे अमेरिका की सबसे लंबी गुफा ‘कर्ल्सवार ऑफ़ केव’ के साथ भी तुलना की जाती है।
कुटुमसर गुफा की खोज 1950 के दशक में भूगोल के प्रोफेसर डॉ. शंकर तिवारी ने स्थानीय आदिवासियों की मदद से की थी। इसे पहले गोपनसर (छिपी हुई गुफा) के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम कुटुमसर गुफा पड़ा।
यहां एक विशेष प्रकार की रंग-बिरंगी अंधी मछलियाँ पाई जाती हैं, जिन्हें कप्पी ओला शंकराई कहा जाता है, जो गुफा के अनूठे पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं। कुटुमसर गुफा न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भूगर्भीय और जीववैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल है। शोधकर्ता और पर्यटक यहां इसके अद्वितीय स्वरूप का अध्ययन करने के लिए आते हैं।