खैरागढ़। दुनियाभर में पक्षियों की लगभग 11 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के नवापारा खुर्द गांव में एक विशेष पक्षी, लेसर एडजूटेंट स्टॉर्क (Lesser Adjutant Stork), पिछले 15 वर्षों से स्थानीय किसान ठाकुर सिंह के आंगन में निवास कर रहा है। यह दुर्लभ प्रजाति प्राकृतिक कचरा सफाई में अहम भूमिका निभाती है। दक्षिण-पूर्व एशिया के दलदली क्षेत्रों में पाया जाने वाला यह पक्षी मरे हुए छोटे जीवों का सेवन कर पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। घटती संख्या के चलते इसे IUCN की असुरक्षित श्रेणी में रखा गया है, और इसके संरक्षण के प्रयास चल रहे हैं।
2018 में रिपोर्ट हुआ था गांव में निवास, 2024 में मिला चौंकाने वाला तथ्य
पहली बार 2018 में ए एम के भरोस और डी. दीवान ने यहां लेसर एडजूटेंट स्टॉर्क के बसेरे पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस वर्ष, प्रतीक ठाकुर, रवि नायडू, डॉ. हिमांशु गुप्ता और ए एम के भरोस द्वारा प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अब ये स्ट्रॉक और भारतीय चमगादड़ (Indian Flying Fox) एक ही पेड़ पर रह रहे हैं। स्ट्रॉक ने पेड़ के ऊपरी हिस्से में घोंसला बनाया है, जबकि नीचे चमगादड़ों का निवास है। यह दृश्य पक्षी प्रेमियों और वैज्ञानिकों के लिए रोमांचक विषय बन गया है।
संख्या में गिरावट और संरक्षण की आवश्यकता
पिछले वर्षों में इन घोंसलों की संख्या घटकर पांच से दो रह गई है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इन पक्षियों के बसेरे में बदलाव की प्रवृत्ति को समझने के लिए आसपास के क्षेत्रों में सर्वेक्षण जरूरी है। साथ ही, इस सहजीविता के वैज्ञानिक अध्ययन से दोनों प्रजातियों पर इसके प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी।