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नवरात्रि के नौवां दिन : मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मंत्र, आरती और महत्व

Maa Siddhidatri : मां सिद्धिदात्री, नवरात्रि के नौवें दिन की देवी हैं, जो सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी के रूप में हैं। मार्कण्डेयपुराण के अनुसार, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईश्वरत्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां मां सिद्धिदात्री द्वारा प्रदान की जाती हैं। देवीपुराण में वर्णित है कि भगवान शिव ने भी इनकी कृपा से ही इन अष्ट सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें अर्द्धनारीश्वर के नाम से जाना जाता है। मां सिद्धिदात्री के भक्तों की कोई भी इच्छा अधूरी नहीं रहती है। वे अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं।

पूजा विधि:

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. अपने घर या मंदिर में माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित करें।
  3. माँ को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और फूलों से स्नान कराएं।
  4. माँ को लाल रंग की चुनरी, सिंदूर, हरी चूड़ियां और फल-फूल अर्पित करें।
  5. धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर माँ की आरती करें।
  6. मां सिद्धिदात्री के मंत्रों का जाप करें।
  7. नवमी के दिन कन्या पूजन करना भी विशेष फलदायी होता है।
  8. माँ से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।

मंत्र:

भोग:

मां सिद्धिदात्री की आरती

जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।

तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।

तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।

तू सब काज उसके करती है पूरे।

कभी काम उसके रहे ना अधूरे।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।

जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

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